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आखिर क्यों शादी के बाद महिलाओं की तकलीफ़ खत्म नहीं होती है?

शादी करने के 1-2 साल बाद जब लड़की की फैमिली हो जाती है। तब वह अपने बच्चों और अपने पति तक ही सीमित रह जाती है।

पूरी दुनिया के साथ उसका हर रिश्ता खत्म सा हो जाता है। कारण जब वह मां बनती है। तो उसकी सबसे पहली जिम्मेदारी उसके बच्चों के प्रति होती है। फिर पति, फिर ससुराल वाले।

इन सबका ख्याल रखते-रखते एक महिला के जीवन की स्वतंत्रता कब एवं कैसे समाप्त हो जाती हैं। यह  खुद महिला को भी पता नहीं होता है।

बच्चों के कारण कैसे स्वतंत्रता समाप्त होती है

बच्चे जब होते हैं। तब उनका ख्याल एक मां ही सबसे ज्यादा रखती हैं। उसे क्या चाहिए, क्या नहीं चाहिए। उसे क्या पसंद है,क्या नहीं पसंद है।

बच्चे को जन्म देने से एक मां मां नहीं बन जाती है। बल्कि उसे सही परवरिश भी देने का कर्तव्य माता एवं पिता दोनों का ही होता है।

लेकिन एक मां ही सबसे ज्यादा अपने बच्चे को समय देती है। बच्चे जब तक बड़े नहीं हो जाते। तब तक मां पर ही उसके सभी जिम्मेदारियां होती है।

निवारण

एक पति को भी एक पिता के रूप में अपनी पत्नी का साथ देना चाहिए। ताकि उनकी पत्नी की स्वतंत्रता कहीं समाप्त ना हो जाएं।

घर और ऑफिस की जिम्मेदारियों के कारण स्वतंत्रता समाप्त हो जाती है

एक लड़की को शादी के पहले जो स्वतंत्रता होती थी। वह शादी के बाद कभी भी नहीं मिल पाती है। यह बात बिल्कुल सच है।

यदि अच्छे ससुराल वाले मिले। पति सपोर्टिव हो। तो कुछ हद तक लड़कियों को स्वतंत्रता शादी के बाद मिल सकती है।

यदि ससुराल वाले भी एक माता -पिता की तरह उसका ख्याल रखें।

लेकिन 98% लड़कियों को ऐसा परिवार नहीं मिलता जो उनका ख्याल एक बहू की तरह नहीं। बल्कि बेटी की तरह लगता है।

घर और ऑफिस की जिम्मेदारियां संभालते-संभालते एक लड़की अपने बारे में सोचना भूल जाती हैं।

उसे क्या करना है। वह भूल जाती है और बस जिंदगी की रेस में भागती रहती हैं कि शायद कभी उन्हें ऐसा मंजिल मिले। जहां पहुंचकर उन्हें थोड़ा आराम मिल सकें।

निवारण

जिस तरह माता-पिता अपने बेटे का ख्याल रखते हैं। ठीक उसी तरह से अपने बेटे की पत्नी का भी उनको ख्याल रखना चाहिए।

ताकि एक बहू को भी मानसिक रूप से शांति मिल सके एवं उसे भी थोड़ी आजादी उसके बेटे की तरह मिल सकें।

दिल को चोट पहुंचती है

हर पति-पत्नी में लड़ाई होती हैं और लड़ाई के बाद दोनों में पैचअप भी होता है।

कभी-कभी लड़ाई में पति-पत्नी एक दूसरे पर आरोप लगा देते हैं। 

गलत आरोप लड़कियां बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पाती है। उनके दिल को उस वक्त काफी चोट पहुंचती है।

निवारण

मैं एक अच्छे पति की यही जिम्मेदारी होती है कि वह अपने पत्नी की खुशियों का ख्याल रखें। जब वो रुठे तो उसे प्यार से मनाएं। उसे गले से लगाएं। ताकि उसके दिल का चोट कुछ हद तक कम हो सकें।

हर पति का यह धर्म होना चाहिए कि वह अपने पत्नी को हंसी खुशी रखें। यदि पत्नी गलती करे तो उसे समझाएं। ना की उसे 10 बातें सुनाएं।

लड़कियां ऐसे भी बहुत भावुक होती हैं। इसलिए उनको प्यार से समझाना चाहिए। ताकि कही गई बात को भी वह समझ सके एवं उनके दिल को भी चोट ना पहुंचे।

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