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मांँ कात्यायनी पूजा नवरात्रि का छठा दिन | नवरात्री के रहस्य

मांँ कात्यायनी पूजा नवरात्रि का छठा दिन | नवरात्री के रहस्यकात्यायनी पूजा नवरात्रि का छठा दिन

नवरात्रि के छठे दिन,भक्तों द्वारा मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। संस्कृत शब्दकोष के अनुसार कात्यायनी नाम देवी पार्वती,

आदि पराशक्ति या अमरकोश का ही दूसरा नाम है। कुछ मान्यताओं के अनुसार कात्यायनी मां को देवी दुर्गा के उग्र

अवतार के रूप में भी जाना जाता है। आज हम अपने ब्लॉग में नवरात्रि के छठे दिन के विषय में चर्चा करेंगे।

जो पूर्ण रूप से माता कात्यायनी को समर्पित होता है।

माता कात्यायनी कौन है?


देवी कात्यायनी ऋषि कात्याय की बेटी हैं, और उनका नाम उनके पिता से ही उनको मिला है। 

उन्हें एक योद्धा देवी के रूप में देखा जाता है जो दुनिया में शांति लाने में सक्षम थी।

सभी बुराईयों का नाश करने वाली देवी के रूप में भी इन्हें जाना जाता है।

आपने महिषासुर मर्दिनि का नाम तो सुना ही होगा। 

महिषासुर मर्दिनी के नाम से किसी और को नहीं बल्कि माता कात्यायनी को ही जाना जाता है

क्योंकि वह दुष्ट राक्षस महिषासुर को हराने और मारने में सक्षम थी।

भक्तों के द्वारा कात्यायनी देवी की पूजा सुख और परेशानी मुक्त जीवन जीने के लिए किया जाता हैं।

देवी कात्यायनी के बारे में जानकारी


माता शक्ति, ज्ञान, साहस की प्रतीक हैं और कहा जाता है कि जो भक्त उनकी पूजा करते हैं वे भी माता

के इन गुणों से संपन्न हो जाते हैं। देवी कन्याकुमारी भी देवी कात्यायनी का अवतार हैं। कन्याकुमारी की

पूजा तमिलनाडु में किसानों द्वारा धन, धान्य, फसल समृद्धि इत्यादि के लिए किया जाता है।

माता कात्यायनी का विवाह कृष्ण भगवान से हुआ था। इसलिए गोकुल की कुंवारी कन्या भी विवाह के लिए

कात्यायनी की पूजा करती हैं। कन्या उनसे प्रार्थना करती हैं कि उन्हें भी श्रीकृष्ण भगवान जैसा ही वर प्राप्त हो।

मांँ कात्यायनी का स्वरूप कुछ इस प्रकार है- जिस तरह सोना चमकता है ठीक वैसे ही माता कात्यायनी

का स्वरूप भी चमकता है। माता की सवारी सिंह है। माता एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में कमल धारण करती हैं।

माता के अन्य दो हाथों में अभय मुद्रा और वर मुद्रा होते हैं। माता को अष्टभुजा भी कहा जाता है क्योंकि इनके चार हाथ है।

देवी कात्यायनी पूजा विधि


नवरात्रि के हर दिन जिस तरह से देवियों की पूजा की जाती है। ठीक वैसे ही माता कात्यायनी की भी पूजा की जाती है।

माता को तिलक लगाकर। उनके समक्ष घी का दिया जलाना चाहिए।

कहां जाता है माता के जो भी भक्त पूरी श्रद्धा से उनकी पूजा करते हैं। माता उन्हें अर्थ, काम मोक्ष इत्यादि देती है।

माता कात्यायनी साहस के प्रतीक के रूप में जानी जाती है। इसलिए माता की पूजा नारंगी रंग का वस्त्र पहन कर करना,

अच्छा माना जाता है। माता कात्यायनी को मीठी चीजें बहुत पसंद है। शेहद माता को बहुत प्रिय है।

आप पूजा में माता को शहद का बनावा कोई भी चीज अर्पित कर सकते हैं।

मंत्र- माता कात्यायनी का पूजा मंत्र कुछ इस प्रकार हैं –

“चन्द्रहासोज्जवलकरा शाईलवरवाहना।

कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।”

“या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।”

विवाह में आने वाले अड़चन को दूर करती है माता कात्यायनी


माता कात्यायनी का तंत्र काफी चमत्कारी होता है। मांँ कात्यायनी पूजा नवरात्रि का छठा दिन |

यदि कोई कुंवारी कन्या खासकर वह कन्या जिसके विवाह में बार-बार बाधा उत्पन्न हो रहा हैं। 

यदि वह पूरी श्रद्धा के साथ देवी कात्यायनी की पूजा करती है तो उनका विवाह जल्द संपन्न होगा।

इसके लिए कन्या को कात्यानी यंत्र में प्राण प्रतिष्ठा करवा कर एक निश्चित समय तक मंत्र को पढ़ना होगा।

यदि कोई कन्या ऐसा करने में असमर्थ होती है। तो वह किसी अच्छे पंडित या ज्योतिष शास्त्र की मदद ले सकती हैं

और अपने विवाह में आने वाले अड़चन को दूर कर सकती हैं। दोस्तों हम आशा करते हैं कि आपको देवी

कात्यानी से जुड़े सभी बातें पता चल गई हैं। जिन कन्याओं के विवाह में बाधा उत्पन्न हो रहा है। वह कन्याए भी

देवी कात्यायनी की पूजा कर विवाह के बंधन में बंध सकती है।

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