मांगलिक दोष बहुत खतरनाक हो सकता है; जानिए क्यों यह व्यक्ति के विवाह और वैवाहिक जीवन में समस्याएं पैदा करता है?
ज्योतिष शास्त्र कहता है कि यदि किसी मांगलिक व्यक्ति का विवाह गैर मांगलिक से हो जाएं। तो भी दांपत्य जीवन में क्लेश और दुःख आते हैं और कभी-कभी जीवन साथी की जान भी जा सकती है। ज्योतिष यह भी कहता है कि मांगलिक का विवाह मांगलिक से करना सही है क्योंकि दोनों के विवाह से मांगलिक दोष स्वतः समाप्त हो जाता है। यदि आप इस बात से अनजान हैं कि यह सब क्या है और इसका क्या प्रभाव पड़ता है। तो ब्लॉग को पढ़िए।
ज्योतिष में मांगलिक दोष का बहुत महत्व है
हिंदू धर्म में, मांगलिक दोष का सीधा संबंध विवाह से है। ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें स्थान में हो तो व्यक्ति मांगलिक दोष से पीड़ित माना जाता है। मंगल ग्रह की स्थिति के कारण मांगलिक दोष होता है। मंगल की बात करें तो इसे युद्ध का देवता भी कहा जाता है और यह ग्रह अविवाहित रहता है।
अजीब बात यह है कि जो ग्रह स्वयं अविवाहित होता है, वह जातक की कुंडली में ऐसे योग बनाता है कि ना केवल विवाह प्रस्तावों में बल्कि वैवाहिक जीवन में भी लगातार समस्याएं बनी रहती हैं। इसलिए आमतौर पर यह सलाह दी जाती है कि मांगलिक व्यक्ति को मांगलिक से विवाह कर लेना चाहिए अन्यथा वैवाहिक जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
कोई व्यक्ति मांगलिक दोष से पीड़ित क्यों होता है?
सबसे पहले यह जानने की कोशिश करनी चाहिए कि मांगलिक दोष क्यों और कैसे होता है। इसके पीछे का कारण मंगल ग्रह से संबंधित दोष है। जी हां, शास्त्रों में मंगल को क्रोध, शक्ति, वीरता और सौभाग्य का कारक माना गया है। यदि कुंडली में मंगल ग्रह दूषित हो तो जातक क्रोधी, अभिमानी और शक्तिशाली होता है। यदि ऐसा जातक गैर मांगलिक से विवाह करता है। तो मांगलिक जातक अपने जोश, क्रोध, वीरता और क्रोध से दूसरे साथी को दबाने का प्रयास करेगा। ऐसे में शादी सफल नहीं हो सकती।
मांगलिक दोष कब खतरनाक माना जाता है?
सामान्य तौर पर, मांगलिक दोष व्यक्ति के विवाह संबंधी कार्यों में बाधा उत्पन्न करता है। यदि कुंडली के सप्तम भाव में मंगल हो तो विवाह के समय में बाधा आती है और विवाह के बाद भी समस्याएं बनी रहती हैं। लेकिन यदि मंगल चतुर्थ भाव में स्थित हो तो जातक का विवाह समय से पहले हो जाता है। कम उम्र में शादी करने पर शादी में दिक्कतें आती हैं और वह सफल नहीं होते हैं।
यदि कुंडली में मंगल अष्टम भाव में हो तो जातक के गलत संगत में पड़ने के योग बनते हैं, जिससे विवाह टूटने की संभावना रहती है।
निष्कर्ष
आपने अपने आस-पास और कई मशहूर हस्तियों की शादियों के किस्से सुने होंगे। जिसमें घड़े या पीपल के पेड़ से फेरे लेकर शादी होती है। दरअसल ऐसा मांगलिक की कुंडली में लिखे मृत्यु योग को खत्म करने के लिए किया जाता है, जिससे सभी विपदाएं पीपल के पेड़, कुंभ और शालिग्राम द्वारा वहन की जाती हैं और मांगलिक के जीवनसाथी के जीवन में कष्ट नहीं होता है।
ज्योतिष यह भी कहता है कि 28 साल बाद यानी जैसे ही 29वां साल होता है, कुंडली में मंगल दोष अपने आप समाप्त हो जाता है। इसके बाद जातक किसी से भी शादी कर सकता है।