टीनएज उम्र के लड़के को माता-पिता को कैसे समझाना चाहिए?

मात्र 16-17 साल की उम्र में कोई लड़का अपनी शिक्षिका को उसके बारे में कुछ गलत मैसेज एक अनजान बन कर भेज देता है। यह बात अगर शिक्षिका को बाद में पता चल जाता है। तो लड़के के घरवालों को ऐसी परिस्थिति में क्या करना चाहिए?

टीनएज उम्र के लड़के को माता-पिता को कैसे समझाना चाहिए?

16- 17 साल की उम्र एक बहुत ही कच्ची उम्र होती है।इस उम्र में बच्चे किसी भी बात को समझने के लिए तैयार नहीं होते। बच्चे दुनिया को अपनी नजरों से देखना ज्यादा पसंद करते हैं। इस उम्र में बच्चों को किसी और की बातें बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती है। वह अपने मन की ही करना ज्यादा पसंद करते हैं। आपने जो भी बातें कहीं यह सुनकर ऐसा ही लगता है कि माता-पिता को अपने बच्चों के बारे में कुछ भी नहीं पता है। वह अनजान है कि उनका बच्चा किस रास्ते पर चल रहा है। इसलिए माता-पिता को अब अपने बच्चे के साथ थोड़ा सख्ती, थोड़ा प्यार एवं थोड़ी दोस्ती के साथ पेश आना होगा। ताकि बच्चा सही मार्ग पर आ सकें।

माता-पिता को बच्चे की गलती के लिए पहले समझाना होगा

जब भी कोई बड़ी गलती होती है। तब उस गलती को समझाने वाला और हमें बताने वाला कोई जरूर होना चाहिए। ताकि गलती का एहसास हो सकें और माता-पिता से अच्छा कोई व्यक्ति हो ही नहीं सकता जो अपने बच्चे की गलती को दिखा सके एवं उसे प्यार से बैठ कर समझा सकें।

गलती समझने पर बच्चे से माफी मंगवानी चाहिए

जो बच्चा अपनी गलती को अच्छे से समझता है। वही जिंदगी में एक अच्छा इंसान बन पाता है। यदि नाबालिक बच्चे को अपने द्वारा की गई शर्मनाक हरकत पर अफसोस होता है और वह अपनी शिक्षिका से माफी मांगना चाहता है। जिसे उसने जाने अनजाने में बदनाम करने की कोशिश की है। तो यह एक बहुत अच्छी बात है कि उसे अपनी गलती का एहसास हुआ है और शिक्षक को भी बच्चे को माफ कर। उसे एक और चांस देना चाहिए। ताकि बच्चा सुधर जाएं और नेकी के रास्ते पर चलें।

बच्चे के ऊपर माता पिता को नजर रखनी चाहिए

एक बार जो बच्चा बहुत बड़ी गलती कर बैठता है। वापस वह ऐसा ना कर पाएं। इसके लिए उसके माता-पिता को उसके ऊपर हर वक्त नजर रखना चाहिए। ताकि माता-पिता भी सतर्क रह सकें। बच्चे हमारे देश के भविष्य होते हैं और जब हमारे देश का भविष्य ही सही दिशा की ओर नहीं चलेगा। तो फिर हमारे देश का भविष्य अंधकार में डूब जाएगा।

बच्चे को हर वक्त हाथ में फोन देने से भी बचना चाहिए

आजकल बच्चे अपना अधिकतर समय स्मार्टफोन पर व्यतीत करते हैं। स्मार्टफोन के कारण ना ही वह ठीक से खाते हैं, ना हीं ठीक से सोते हैं। ना हीं ठीक से पढ़ते हैं। बस हमेशा एक स्मार्टफोन 24 घंटे अपने छोटे-छोटे उंगलियों से नचाते रहते हैं।

माता पिता को बच्चे के साथ एक दोस्त की तरह रहना चाहिए

कच्ची उम्र में बच्चों को बुद्धि देने वाले बहुत मिलते हैं। लेकिन हर इंसान अच्छा बुद्धि नहीं देता हैं। इस उम्र में बच्चे को भटकाना बहुत आसान होता है। इसलिए माता-पिता को अपने बच्चे के साथ एक दोस्त की तरह रहना चाहिए। ताकि बच्चा अपनी हर बात उन्हें आकर कह सकें और माता-पिता यदि उनकी बातों से कुछ गलत अंदेशा पाते हैं। तो वह सही समय में अपने बच्चे को सुधार सकें।

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