मेरा नाम रागिनी है। मै विधवा हूं। सांस-ससुर मेरे बेटे को वारिस नहीं मानते। क्या करूं?
मुझे और मेरे बेटे को जायदाद से बेदखल कर रहे हैं, वो बिल्कुल नहीं चाहते की हम उनके घर में भी
रहे। मेरा बेटा अभी छोटा है। उसके लालन पालन की जिम्मेवारी भी लेने को तैयार नहीं है।
मेरे पति के नाम पर कोई जायदाद नहीं है। मै मायके मे रहती हु। बहुत परेशान हु। क्या करू आप बताए।
किस तरह मै बच्चे को आत्मसम्मान दिला सकती हु?
एक औरत के जीवन में, पति का अत्यंत महत्व होता है। कई घरों में, पति की मौत के बाद
पत्नी की दशा दयनीय हो जाती है। उनके बच्चों के साथ भी, भेदभाव किया जाता है। यहां तक कि,
उन्हें पैतृक संपत्ति से भी बेदखल करने की कोशिश की जाती है ।अगर, आपके पति की मृत्यु के
बाद भी ऐसा हो रहा है। और आपके बच्चे को, पैतृक संपत्ति में से अधिकार नहीं मिल रहा है।
तो आप ले सकती हैं, इन चीजों का सहारा।
हमारी सलाह : मै विधवा हूं। सांस-ससुर मेरे बेटे को वारिस नहीं मानते। क्या करूं?
प्राचीन समय में, विधवाओं के साथ गलत व्यवहार किया जाता था। खास तौर पर, उन्हें संपत्ति में कोई
अधिकार नहीं था। जबकि उन्हें, अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए आर्थिक सहायता की जरूरत होती है।
परंतु समय के बदलाव के साथ, विधवाओं को बहुत से अधिकार मिल रहे हैं। यदि किसी भी विधवा को,
उनके अधिकारों से वंचित किया जाता है। तो वह पूरे मनोबल के साथ, अपने अधिकारों की मांग कर सकती है।
अक्सर सही जानकारी के अभाव में, उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आप अपने अधिकार
प्राप्त करने के लिए, करें ये काम…
ऐसे मिलेगा विधवा के बच्चे को संपत्ति में अधिकार
यदि आप, अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहती हैं। और अपने बच्चे के हक के लिए खुलकर
आवाज भी उठाएंगे। तो निश्चित रूप से, कोई भी आपको दबा नहीं सकता है। माना कि, पति की मृत्यु
के बाद आप बिल्कुल टूट चुकी है। परंतु अपने बच्चे के लिए, आपको हिम्मत बनाए रखनी है। यदि
आप हिम्मत दिखाते हैं, तो कोई भी आपकी संपत्ति पर कब्जा नहीं कर सकता है।
रिश्तेदारों का दखल
अगर आपके पति की मृत्यु के बाद, आपके ससुराल वाले आपके साथ गलत व्यवहार कर रहे हैं।
या फिर, आपके बच्चे को संपत्ति से बेदखल कर रहे हैं। तो आपको, इस मसले को रिश्तेदारों के सामने
रखना चाहिए। इस तरह के, घरेलू मामलों को सुलझाने में रिश्तेदारों का अहम योगदान होता है।
आप कुछ समझदार रिश्तेदारों को, इस मदद के लिए चुन सकते हैं। रिश्तेदारों व सामाजिक दबाव में,
आपके ससुराल वालों को अपना फैसला बदलना पड़ेगा। और आपके बच्चे को संपत्ति में बनता अधिकार भी जरूर मिलेगा।
कानून का संरक्षण
भारतीय कानून व्यवस्था में, विधवाओं के अधिकारों का खास ध्यान रखा गया है। यदि आप, पुनर्विवाह भी कर लेती हैं।
तो भी संपत्ति में, आप का अधिकार पूर्ण रूप से रहता है। पूर्व पति की संपत्ति मैं, आपके अधिकार को कानूनी संरक्षण प्राप्त है।
आपके इस अधिकार को, आपके पति का कोई भी रिश्तेदार ही नहीं सकता है। इसी प्रकार, आपके बच्चे का
भी उसके मृतक पिता की संपत्ति पर बराबर का अधिकार है। आप जब चाहे, अपने पति की जायदाद के बंटवारे
की मांग रख सकते हैं। आपके बच्चे को, अपने दादा-दादी या पुरखों की संपत्ति में हिस्सा लेने का पूर्ण अधिकार है।
आप अपने अधिकार की प्राप्ति के लिए, पुलिस स्टेशन में अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।
क्योंकि जबरदस्ती आपके बच्चे को, पिता की संपत्ति से वंचित नहीं किया जा सकता।
माननीय न्यायालय का सहारा
हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के सेक्शन 27 की मान्यता के अनुसार, विधवा को संपत्ति का अधिकार है।
इसी अधिकार के तहत, आपके बच्चे को मृत पिता की संपत्ति से वंचित नहीं कर सकते। हालांकि,
दादा-दादी द्वारा अर्जित की गई संपत्ति पर आपका बच्चा अधिकार नहीं जमा सकता है। परंतु पैतृक संपत्ति में,
आपके पति के हिस्से पर आपके बच्चे का पूर्ण अधिकार है।