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लिव इन रिलेशनशिप VS शादी

लिव इन रिलेशनशिप VS शादी । जैसे जैसे समय बदल रहा है। वैसे ही, रिश्तों में भी बदलाव

देखने को मिल रहा है। आजकल रिश्ते नाते, पुराने समय की तरह गहरे नहीं होते। पहले शादी को,

एक पवित्र बंधन माना जाता था। लेकिन अब इस रिश्ते की जगह, लिव इन रिलेशनशिप ने ले ली है।

 आज की युवा पीढ़ी ने, रिश्तो की अहमियत ही बदल कर रख दी है। युवाओं का मानना है कि,

उन्हें शादी से पहले अपने पार्टनर को समझ लेना चाहिए। इसलिए लिव इन रिलेशन का प्रचलन

बढ़ रहा है। हालांकि हमारे देश में, लिव इन रिलेशनशिप को लेकर नजरिया थोड़ा अलग है। 

लिव इन रिलेशनशिप और शादी में क्या अंतर है?


अगर, लिव इन रिलेशनशिप की बात करें। तो इसमें शादी के बिना ही, स्त्री और पुरुष एक साथ रहते हैं। 

लिव इन रिलेशनशिप शादी से काफी अलग है अधिकतर लोग शादी से पहले, आपसी तालमेल के

लिए इस रिलेशन का चयन करते हैं। इस प्रचलन ने, शादी की महत्ता को कम कर दिया है। लेकिन देखा

जाए तो, टूटती शादियों को देखकर इसे सही भी माना जा सकता है। लिव इन रिलेशनशिप में, शादी की

बजाए थोड़ी ज्यादा आजादी मिलती है। अगर आप, लिव इन और शादी के बीच के अंतर को जानना

चाहते हैं। तो आज हम, आपको बताएंगे कि इन दोनों में क्या फर्क है। आइए जानते हैं दोनों के

विषय में कुछ खास बातें।

लिव इन रिलेशनशिप VS शादी


लिव इन में, महिला और पुरुष के लिए कोई पारिवारिक बंधन नहीं होता है। इसीलिए आजकल की युवा पीढ़ी,

इस रिश्ते को तवज्जो दे रही है। बहुत से लोग, शादी की जिम्मेवारी को निभाना नहीं चाहते हैं।

इसलिए वे लिव इन का सहारा लेते हैं।

 वहीं दूसरी ओर शादी, लड़का और लड़की के अलावा दो परिवारों का बंधन होता है। शादी में, सभी

रीति रिवाज और पारंपरिक मान्यताओं का पालन किया जाता है  भारतीय परंपरा में, शादी की पवित्रता के

बराबर कोई रिश्ता नहीं माना गया है।

फैसले की स्वतंत्रता


लिव इन रिलेशनशिप में, पार्टनर के छोड़ने पर आप कुछ नहीं कर सकते हैं। बिना किसी की आज्ञा के,

आप कभी भी अलग हो सकते हैं। परंतु, यदि आप शादी को निभाना नहीं चाहते हैं। तो आपको अपने पार्टनर से,

अलग होने के लिए कानूनी प्रक्रिया के अनुसार चलना होगा। 

 कानूनी प्रक्रिया 


लिव इन रिलेशनशिप के लिए, लड़का तथा लड़की की उम्र की योग्यता जरूरी है। जिसमें, लड़की की उम्र

18 साल और लड़के की उम्र 21 साल तक होनी चाहिए। इस रिलेशन में भी, घरेलू हिंसा कानून और अलग

होने पर गुजारे भत्ते का प्रावधान है। वहीं अगर, शादी के बाद आप तलाक लेना चाहते हैं। तो आपको 6 माह

तक का समय, साथ में व्यतीत करना होगा। इसके पश्चात ही, आप के अलग होने की  प्रक्रिया पूर्ण होती है।

परंतु यदि आप, एकतरफा तलाक लेना चाहते हैं। तो आपको, अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देना होगा।

लिव इन रिलेशनशिप और शादी, दोनों ही रिश्तों में घरेलू हिंसा होने पर सजा का प्रावधान है।

इस लिव इन रिलेशनशिप के प्रॉब्लम्स


लिव्ह इन रिलेशनशिप में रहने वाले, कपल का भविष्य सुरक्षित नहीं होता। एक दूसरे को छोड़ देने का संशय,

हमेशा बना रहता है। कोई पारिवारिक जिम्मेदारी ना होने से, रिश्तों में अक्सर तनाव की स्थिति रहती है।

लिव इन को हमेशा, समाज द्वारा घृणित नजरों से देखा जाता है। 

मैरिज में आने वाली प्रॉब्लम


शादी जैसे रिश्ते में भी, तनाव उत्पन्न होने पर बात  तलाक तक पहुंच जाती है। पति पत्नी के संबंधों में

अनबन का असर बच्चों पर भी पड़ता है। भारतीय समाज में, अधिकतर शादियां मजबूरी है। न चाहते हुए भी,

बच्चों के भविष्य की खातिर यह रिश्ते निभाने पड़ते हैं।

अब आप समझ गए होंगे कि, शादी और लिव इन रिलेशनशिप में क्या प्रमुख अंतर है। लिव इन रिलेशनशिप

के असफल रहने पर, लड़कियों के लिए आगे शादी में प्रॉब्लम आ सकती हैं। इसलिए, अपनी जिंदगी का

फैसला सोच समझ कर ले।

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