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भगवान शिव ने शंखचूर नामक राक्षस का अंत किया था, जिसकी वजह से शिवलिंग का अभिषेक शंख से नहीं किया जाता है।
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बेलपत्र में तीन पत्र पूरे हों। बेलपत्र में तीन पत्तियों को ही एक माना जाता है। वहीं अगर तीन पत्ते से ज्यादा बेलपत्र मिले तो यह दुर्लभ माना जाता है।
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शिवलिंग की परिक्रमा में सोममूत्र का लांघा नहीं जाता है। इसलिए शिवलिंग की परिक्रमा हमेशा आधी की जाती है, ऐसा लिंग पुराण और शिव पुराण में बताया गया है।
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हल्दी, कुमकुम, सिंदूर व रोली का तत्व स्त्री संबंधित है और शिवलिंग पुरुष तत्व है। इसलिए शिवलिंग पर ये चीजें कभी ना चढ़ाएं
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शिवपुराण के अनुसार शिवलिंग की पूजा में तुलसी पत्ता, केतकी, कनेर व कमल का फूल नहीं चढ़ाया जाता है। आप बेलपत्र, भांग व धतूरा आदि अर्पित कर सकते हैं।
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अटूट चावल पूर्णता का प्रतीक होता है। इसलिए शिवलिंग या किसी भी भगवान की पूजा में टूटे हुए चावल पूजा की थाली में कभी भी ना रखें।
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शिवपुराण के अनुसार आज के दिन जो भी पुरुष या महिला अनैतिक आचरण करेंगे, उनपर भगवान शिव क्रोधित हो जाते है। आपकी जिंदगी मुसीबत में फस जायेगी।