भारतीय ज्योतिष परंपरा में विवाह संबंधों की सफलता हेतु दोनों जातकों की जन्मकुंडली का मिलान किया जाता है। यह एक प्राचीन और महत्वपूर्ण ज्योतिषीय प्रथा है जो विवाह में दो लोगों के भावी जीवन के बारे में अनुमान लगाने में मदद करती है। जन्मकुंडली में लड़का और लड़की के ग्रहों की स्थिति, नक्षत्र, राशि, गुण, दोष, और अन्य ज्योतिषीय तत्वों का मिलान किया जाता है।
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यदि कुंडली मिलान से दोनों (भावी पति और पत्नी) जातक एक-दूसरे के प्रति अनुकूल रहते हैं, तो उनके परिजन विवाह के लिए आगे बढ़ते हैं। यह एक महत्वपूर्ण चरण है जो विवाह के निर्धारित क्षण में दोनों जातकों के भावी संबंधों को सुनिश्चित करने में मदद करता है।
जन्मकुंडली मिलान
अष्टकूट | गुण |
नाड़ी | 8 |
भकूट | 7 |
गण मैत्री | 6 |
ग्रह मैत्री | 5 |
योनि मैत्री | 4 |
ताराबल | 3 |
वश्य | 2 |
वर्ण | 1 |
जन्मकुंडली मिलान एक प्राचीन वैज्ञानिक पद्धति है जिसका उपयोग जीवनसाथियों की गुणवत्ता, स्वभाव, गुण और दोषों की जांच करने के लिए किया जाता है। मिलान एक और महत्वपूर्ण चरण है जो विवाह से पहले किया जाता है। यह जांचने का उद्देश्य होता है कि दोनों जीवनसाथियों के बीच योनि में कोई विपरीतता नहीं है। दोनों जातकों की शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक संगतता की जांच की जाती है। इसका महत्वपूर्ण अंश है क्योंकि योनि में संगतता की अभावता विवाह संबंधों को अस्थिर बना सकती है और उनमें तनाव पैदा कर सकती है।
ग्रहों की स्थिति, नक्षत्र, राशि, गुण, दोष, और अन्य ज्योतिषीय तत्वों को लोग नहीं समझते। इसलिए होता है extra marital affair | ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, विवाहेतर संबंध (Extra Marital Affair) के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
ग्रहों की चाल
- शुक्र ग्रह: शुक्र ग्रह को प्रेम, कामुकता और सौंदर्य का कारक माना जाता है। यदि शुक्र ग्रह कुंडली में कमजोर या अशुभ स्थिति में हो या अशुभ योग बनता हो तो विवाहेतर संबंध होने की संभावना बढ़ जाती है।
- मंगल ग्रह: मंगल ग्रह को ऊर्जा, जुनून और आक्रामकता का कारक माना जाता है। यदि मंगल ग्रह कुंडली में कमजोर या अशुभ स्थिति में हो तो ऐसे संबंध होने की संभावना बढ़ जाती है।
- राहु ग्रह: राहु ग्रह को भ्रम, मोह और अनिश्चितता का कारक माना जाता है। यदि राहु ग्रह कुंडली में कमजोर या अशुभ स्थिति में हो तो Extra Marital Affair होने की संभावना बढ़ जाती है।
कुंडली में योग
- मंगल-शुक्र युति: मंगल और शुक्र की युति कुंडली में विवाहेतर संबंध का योग बनाती है।
- चंद्र-शुक्र युति: चंद्र और शुक्र की युति कुंडली में भावनात्मक संबंध का योग बनाती है, जो विवाहेतर संबंध का कारण बन सकता है।
- राहु-केतु का प्रभाव: राहु और केतु का प्रभाव कुंडली में भ्रम और मोह पैदा कर सकता है, जो विवाहेतर संबंध का कारण बन सकता है।
अन्य कारण
ऊपरवाले सिर्फ दो ही कारण नहीं है। ज्योतिष शास्त्र के अलावा Extra Marital Affair के कुछ अन्य कारण भी हो सकते है। जैसे की
- वैवाहिक जीवन में असंतोष: यदि वैवाहिक जीवन में असंतोष, झगड़े या अलगाव हो तो विवाहेतर संबंध होने की संभावना बढ़ जाती है।
- कम आत्मसम्मान: यदि किसी व्यक्ति का आत्मसम्मान कम हो तो वह विवाहेतर संबंध में शामिल होने की संभावना रखता है।
- मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं: अवसाद, चिंता या अन्य मानसिक स्वास्थ्य, स्वभाव आदि समस्याएं विवाहेतर संबंध का कारण बन सकती हैं।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ज्योतिष शास्त्र केवल एक संभावना को दर्शाता है। विवाहेतर संबंध होने का मतलब यह नहीं है कि व्यक्ति की कुंडली में कोई दोष है। यदि आप विवाहेतर संबंध से परेशान हैं तो अच्छे ज्योतिषी या मानसोपचार तज्ञ से परामर्श ले सकते हैं। ज्योतिषी आपकी कुंडली का विश्लेषण करके आपको उचित मार्गदर्शन दे सकता है।
महत्वपूर्ण सूचना : यह भी ध्यान रखें कि ज्योतिष शास्त्र का उपयोग किसी भी प्रकार के गलत काम को करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
गुणामिलन मेंजीतने ज्यादा गुण होंगे उतना शारीरिक और मानसिक संबंध में अच्छा होता है। अगर गुण ‘0’ होंगे तो दोनों एकदूसरे से खुश नहीं है। ऐसी स्थिति में extra marital affair की आशंका बहुत ज्यादा होती है। यह वैवाहिक जिंदगी में सबसे बुरी बात है।
ज्योतिष शास्त्र बहुत पुराना है। हजारों सालों से उसका महत्व कम नहीं हुआ है। ऐसा ज्यादातर देखा गया है, की गुण न मिले तो दोनों की नहीं बनती। किस विषय में दोनों की अनबन होगी ये अष्टकूट के माध्यम से देखा जा सकता है। शायद जिसमें कम गुण होंगे वह तलाक का कारण बनेगा।