भारतीय समाज में तो तलाक को वैसे भी अभिशाप के रूप में देखा जाता है। यदि तलाकशुदा महिला के बच्चे हो, ऐसे में लोगों का नजरिया बिल्कुल ही बदल जाता है। समाज के लोग तलाक के बाद महिला की जिंदगी को खत्म ही मानते हैं। समाज के दबाव में तलाकशुदा महिला होना सबसे मुश्किल है क्योंकि ना तो उन्हें अकेले स्वीकार किया जाता है और ना ही बच्चों के साथ। हालांकि अकेली तलाकशुदा महिला के साथ तो फिर भी शादी करने के लिए कोई ना कोई तैयार हो ही जाता है। लेकिन बच्चों वाली तलाकशुदा महिला के लिए तो यह एक टेढ़ी खीर बन जाता है। तलाकशुदा महिला को उसके बच्चे के साथ अपनाने से लोग कतराते है
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सिर्फ समाज ही नहीं यहां तक कि खुद महिला का परिवार भी तलाक के लिए महिला को ही दोषी समझने लगता है। क्योंकि एक महिला कितनी ही मुश्किल में क्यों ना हो परंतु परिवार की तरफ से उस पर हमेशा तलाक ना लेने का दबाव ही बनाया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि परिवार आगे आने वाली स्थिति से भली भांति परिचित होता है। उन्हें इस बात का एहसास होता है कि बच्चों वाली तलाकशुदा महिला की दूसरी शादी करना कितना मुश्किल भरा काम है। लेकिन आखिर क्यों लोग बच्चों वाली शादीशुदा महिला को अपनाने से कतराते हैं? आइए जानते हैं आपके इन्ही सवालों के जवाब विस्तार से….
सामाजिक नजरिया के कारण बच्चे की माँ को लोग नहीं अपनाते
समाज में तलाक लेने वाली महिला को विद्रोही स्त्री के रूप में देखा जाता है। लोगों के अनुसार जो स्त्री समझौता नहीं कर सकती वही तलाक लेती है। तो ऐसे में दूसरी शादी के समय भी लोग यही अवधारणा बनाए रखते हैं।
लोगों की यह सोच रही है कि जो महिला अपने बच्चों की खातिर अपने पहले पति के साथ नहीं रह सकी, वह भला दूसरी शादी में कैसे एडजस्ट करेगी। हालांकि उस महिला की पहली शादी में दशा कैसी रही होगी या फिर उसने तलाक क्यों लिया, इस बारे में कोई जानना जरूरी नहीं समझता।
बच्चों की जिम्मेदारी से भागना चाहते है शादी के इच्छुक लड़के
अगर कोई व्यक्ति बच्चों वाली तलाकशुदा महिला से शादी करता है। तो यह बात बिल्कुल साफ है कि उसे उक्त महिला के बच्चों की परवरिश भी करनी होगी। अवधारणा के अनुसार तो पहली शादी से होने वाले महिला के बच्चे दूसरे पुरुष के हैं। तो इसी बात का बतंगड़ बना कर लोग अपनी जिम्मेदारी से भागते हैं।
उन्हें तलाकशुदा महिला से शादी करने में कोई आपत्ति नहीं होती परंतु दूसरे के बच्चों को अपनाने से तकलीफ है। तलाकशुदा महिला से शादी करने वाले पुरुष महिला के बच्चों को आर्थिक सहारा नहीं देना चाहते। इसी वजह से बच्चों वाली तलाकशुदा महिला से शादी करने से भी कतराते हैं।
पुनर्विवाह में पहले बच्चे के भविष्य का डर भी रहता है।
“अपना खून अपना ही होता है” की कहावत भारतीय समाज में बहुत प्रचलित है। इसलिए लोगों का मानना है तलाकशुदा महिला के बच्चे दूसरी शादी वाले पिता को कभी अपनाते नहीं है। जिससे भविष्य में यानी कि बुजुर्ग अवस्था में वे उनकी देखभाल नहीं करेंगे। हालांकि इस बात का कोई मजबूत आधार नहीं है परंतु फिर भी लोग इस आधार पर भविष्य का फैसला करते हैं।
इसके साथ ही हर पुरुष अपनी संतान पैदा करना चाहता है। ऐसे में वे सोचते हैं कि बच्चों वाली तलाकशुदा महिला से अपनी संतान पैदा करने के बाद, वे पहली संतान के साथ सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाएंगे।