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बहुत दिनों से मन में जो बात है, वह आपसे शेअर करना चाहता हु। मैं अपने मामा की बेटी से बहुत प्यार करता हूँ, शादी भी करना चाहता हूं। लेकिन वह मुझे बॉयफ्रेंड के रूप में नहीं बल्कि भाई के रूप में चाहती है। और हमारी बिरादरी में मामा की लड़की से शादी नहीं की जाती। यहां तक की उसने मेरी कलाई पर राखी भी बाँधी है। अब मैं क्या कर सकता हूँ?
हमारी सलाह : मुझे जिससे प्यार है, वह मेरी बहन है
आपके सवाल का जवाब देने से पहले हम आप को सलाम करना चाहते हैं। कारण आपकी सोच बहुत ज्यादा ही अच्छी है। आपको शर्म नहीं आती कि आप जिस लड़की से प्यार करते हैं। वह आपकी अपने ही मामा की बेटी है। जो रिश्तें में आपकी बहन लगती है। जिस लड़के ने आपको राखी पहनाया जो लड़की आपको भाई समझती है। आप उसी लड़की से प्यार करने की गलती कैसे कर सकते हैं। हमारे समाज में आपकी इस गलती की बहुत बड़ी सजा है। क्या आप उस बात से वाकिफ हैं या नहीं।
आखिर क्यों मामा की बेटी से शादी नहीं किया जा सकता?
मामा की बेटी अर्थात मां के भाई की बेटी। मां और मामा दोनों का जन्म एक ही मां के पेट से होता है। एक ही मां के पेट से जन्म लेने के कारण मामा की बेटी के साथ खून का रिश्ता बन जाता है। शादी कभी भी खून के रिश्ते के भाई बहन के साथ नहीं होती है। इसलिए मामा की बेटी के साथ शादी नहीं किया जा सकता है।
मगर अन्य राज्यों में और बहुत सारी जाती में मामा के बेटी से शादी करने की मनाई नहीं है। बल्कि मामा की लड़की को आधी घरवाली ही माना जाता है। आप घरवालों को ऐसे लोगों से मिलवा सकते है, की जिसने अपनी मामा की बेटी से शादी की हो। यह बिल्कुल ठीक है। कई जोड़ों के विवाह हुए है। और आज भी बहुत अच्छी तरह से वह अपनी जिंदगी बीता रहे है।
विज्ञान के अनुसार भी रक्त संपर्क में शादी नहीं करना चाहिए
विज्ञान भी ब्लड रिलेशन में शादी करने के लिए राजी नहीं होता है। उनके मत के अनुसार एक ही रक्त संपर्क में शादी करने से शादी के बाद होने वाले बच्चे को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। पहली समस्या यह यदि परिवार में किसी को कोई गंभीर बीमारी है। तो वह बीमारी होने वाले बच्चे को भी हो सकती है। ऐसा ना हो इसलिए विज्ञान ब्लड रिलेशन में शादी करने से मना करता है।
बाइबल के अनुसार भी कज़न शादी नहीं कर सकते हैं?
धर्म ग्रंथ जैसे बाइबिल में भी इस बात को स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कोई भी कज़न जैसे चचेरे भाई-बहन, ममेरे भाई बहन आपस में एक दूसरे के साथ शादी नहीं कर सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो इस शादी के बाद दोनों को ही एक बहुत बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
हिंदू धर्म में 3 गोत्र का त्याग कर शादी करने को कहा जाता है
हिंदू धर्म के अनुसार कभी भी व्यक्ति को एक ही गोत्र में शादी नहीं करना चाहिए। यदि बात बहुत ज्यादा गंभीर है। तो 3 लोगों के गोत्र में तो बिल्कुल भी शादी नहीं करना चाहिए। पहला खुद का गोत्र, दूसरा माता का गोत्र एवं तीसरा दादी का गोत्र। यदि दादी या माता के गोत्र के लोगों से विवाह होता है। तो उसे हिंदू धर्म में बिल्कुल भी शुभ विवाह नहीं माना जाता है।
एक ही गोत्र, कुल या वंश में शादी करने की मनाही होती है। इसलिए एक ही गोत्र,कुल या वंश में शादी नहीं करना चाहिए। यदि खुशी-खुशी रहना है और एक अच्छा सुखी जीवन यापन करना है। तो शादी वहीं करनी चाहिए, जहां पर करना जायज होता है। इससे आप खुश रहेंगे एवं शादी के बाद जब आपके बच्चे होंगे तो वह भी स्वस्थ पैदा होंगे।