Chanakya Niti | बेशर्म होकर करो ये 5 काम खुशियां कदम चूमेगी | दोस्तों, चाणक्य के बारे में तो हम सभी जानते है। उनके बुद्धि और विवेक को आज भी दुनिया सलाम करती है और जब भी हमलोग अपने जीवन के किसी उलझन में उलझ जाते है तो चाणक्य नीति का अनुसरण जरूर करते है जो हमें यह बताती है कि हमें कब, क्या करना चाहिए ? चाणक्य नीति के ऊपर आपको कई किताब भी पढ़ने को मिल जाएंगे या फिर आप इसके बारे में गूगल पर भी सर्च कर सकते है। जब आप इन चाणक्य नीतियों को अपने सामाजिक जीवन के ऊपर व्यवहार में लाते है तो आपके सारे रुके काम बड़ी ही आसानी से बनने लग जाते है। चाणक्य एक बहुत बड़े विद्वान और दुनिया के महान अर्थशास्त्री , नीतिज्ञ थे।
बेशर्म होकर करो ये 5 काम / चाणक्य नीति
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चाणक्य ने अपनी बुद्धि और नीति के बल पर ही चंद्रगुप्त मौर्य को शासक बनाया था जिसके फलस्वरूप भारत का निर्माण हुआ। पटना जिसे पहले पाटलिपुत्र कहा जाता था, चाणक्य काल में मगध राज्य की राजधानी हुआ करता था। चाणक्य नीतियों से मिलने वाली सीख हमें आज के इस कलयुग में विवेक के साथ जीना सिखाती है फिर चाहे वो राजनीति से जुड़ी हो, दैनिक जीवन से जुड़ी हो या फिर अर्थशास्त्र से जुड़ी हो। चाणक्य ने ऐसे बहुत सारी चीजों के बारे में हमें बताया है जिसे अपने रोजमर्रा के जीवन में अपनाना अनिवार्य होता है। आगे हम आपको ऐसे ही कुछ चाणक्य नीतियों के बारे में बताएंगे जिसे हमें पूरी बेशर्मी के साथ कर लेनी चाहिए तभी हमलोग जीवन में उन्नति कर पाएंगे तो चलिए जानते है बेशर्म होकर करो ये 5 काम / चाणक्य नीति के बारे में ।
1 : अपना पैसा वापस मांगते समय कभी भी शर्म नही करनी चाहिए
इस दुनिया में कोई भी व्यक्ति जन्मजात धनवान नही होता है। कुछ लोग अगर वंश के अनुसार अमीर होते भी है तो अवश्य ही उनके पूर्वजों ने इसके लिए कड़ी मेहनत की होती है तभी जाकर वे आज के समय में धनवान होते है। हर किसी ने कभी न कभी अपने बुरे समय में दूसरों से पैसों की मदद अवश्य ही मांगी होती है या आपने कभी न कभी किसी दूसरे को उधार देकर पैसों से मदद अवश्य ही की होगी।
अगर पैसों का यह लेन देन किसी अनजान व्यक्ति से होता है तो हम बिना किसी दुविधा के अपने पैसे वापस मांग लेते है लेकिन जब यही लेन देन आप अपने किसी परिवार वाले, मित्र या जानकारों के साथ करते है तो हमें अपना दिया हुआ पैसा वापस मांगने में बहुत ही ज्यादा शर्म आती है जिस कारण कई बार हमलोगों को आर्थिक नुकसान तक उठाना पड़ जाता है। अगर आप किस्मत के धनी निकलें तो हो सकता है कि सामने वाला व्यक्ति आपके बिना मांगे ही पैसे लौटा दें लेकिन कई बार आपके रिश्तेदार ही आपकी इस मासूमियत का फायदा उठाने लग जाते है । खासकर तब जब उन्हें ये पता चल जाता है कि सामने वाला व्यक्ति पैसे नही मांगने वाला।
चाणक्य नीति कहती है कि अगर आपने अपने रिश्तेदार, मित्र या किसी जानकार को पैसे उधार दिए है तो पूरी बेशर्मी दिखाते हुए उनसे अपने पैसे मांग लेने चाहिए। अगर आप रिश्तेदारी का ध्यान रखते हुए पैसों के मामले में शर्म करते है तो आपको आगे चलकर बहुत ही ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है। अक्सर ऐसा हर किसी के साथ होता है हम अपने रिश्तेदारों , मित्रों को उधार दिए हुए पैसे उनसे वापस मांग नही पाते है या यूं कहिये कि हमें पैसे वापस मांगने में शर्म आती है। हमें अपने खुद के पैसे मांगने में कभी भी शर्म नही करनी चाहिए और पूरी बेशर्मी के साथ अपने पैसे सामने वाले से वापस मांग लेने चाहिए क्योंकि रिश्तेदारी अपनी जगह है और आर्थिक जरूरतें अपनी जगह।
2 : कभी भी गुरु से सवाल पूछते समय शर्म नही करनी चाहिए
ज्ञान ही मनुष्य को संसार में विजयी बनाता है। ज्ञान के आभाव में कोई भी व्यक्ति आगे नही बढ़ सकता है। अज्ञानता मनुष्य को आगे बढ़ने से रोकती है और ज्ञान मनुष्य को अंधकार से रोशनी की ओर ले जाता है। चाणक्य नीति कहती है कि आपको कभी भी सवाल पूछते हुए शर्माना नही चाहिए बल्कि बेशर्म की तरह अपने गुरु से सवाल पूछना चाहिए। जितना ज्यादा आप सवाल पूछते है उतनी ही ज्यादा आपकी बुद्धि बढ़ती है और आपको सभी चीजों से संबंधित ज्ञान मिल पाता है ।
यदि आप सवाल ही नही करेंगे तो किसी भी चीज के बारे में जानने की उत्सुकता हमारे मन में पैदा ही नही होगी , जिससे कुएं के मेढ़क की ही तरह हमारे अंदर का ज्ञान भी सीमित रह जाता है। जो लोग सवाल नही पूछते है वो सदा ही अज्ञानता के अंधकार में ही कैद रह जाते है इसलिए हमेशा सवाल पूछते रहना चाहिए। अगर आप स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे है तो अपने टीचर से बेशर्म की तरह सवाल पूछा करिए ताकि आपको हर वो चीज समझ आ सके जिसे समझना आप लोगों के लिये मुश्किल हो रहा हो। सवालों के जवाब मिलने से आपके मन की आशंका भी दूर हो जाती है और आप बुद्धिमान भी बनते है।
3 : भोजन करते समय शर्म नही करना चाहिए
बहुत सारे लोग ऐसे भी होते है जो कि किसी दूसरों के घर जाने पर खाना खाते वक़्त बहुत शर्माते है जिसके फलस्वरूप उन्हें आधा पेट ही खाकर रहना पड़ता है। चाणक्य नीति कहती है कि भोजन ग्रहण करना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे करते समय में शर्माना तो बिल्कुल भी नही चाहिए वरना ऐसा करने से आप भूखे ही रह जाएंगे। इस चीज का अनुभव तो आपने भी अपनी जिंदगी में अवश्य ही किया होगा कि कभी आप भी अपने किसी जानने वाले के घर गए हो
अपने आप को एक अच्छे चरित्र वाला व्यक्ति दिखाने के चक्कर में खाने खाते समय और परसन लेते समय शर्माए हो जिसके परिणामस्वरूप आप उस दिन भूखे ही रह गए हो। ऐसा हर किसी के साथ कभी न कभी जरूर ही होता है इसलिए चाणक्य नीति कहती है कि कभी भी भोजन करते शर्म नही करनी चाहिए बल्कि भर पेट भोजन करना चाहिए। शायद इसलिए ये कहावत भी बनी है की ” जिसने किये शर्म, उसके फूटे कर्म “। Chanakya Niti | बेशर्म होकर करो ये 5 काम खुशियां कदम चूमेगी
4 : पति और पत्नी के बीच का प्यार
पति और पत्नी एक दूसरे के पूरक होते है और यह रिश्ता विश्वास और समर्पण के बल पर ही चलता है। बचपन से ही हमें यह समझाया जाता है कि शारीरिक संबंधों के बारे में चर्चा नही करनी चाहिए , इसे बुरा और बेशर्मी का प्रतीक माना जाता हैं लेकिन सच्चाई तो ये है कि शारीरिक संबंध पति और पत्नी के रिश्ते का आधार होता है जिसके बिना ये रिश्ता अधूरा रह जाता है । संसार में नये सृजन का कारण है, पति और पत्नी के बीच का शारीरिक संबंध लेकिन कई विवाहित जोड़ा ऐसा भी होता है जिन्हें शारीरिक संबंधों के बारे में चर्चा करना बेशर्मी लगता है जिस कारण वे कभी भी इस बार में आपस में खुलकर बात नही करते है जिसके कारण उनका रिश्ता अधूरा रह जाता है
इसका फायदा कोई तीसरा उठा लेता है। कई रिसर्चों में ये पाया गया है कि कई टूटते शादी शुदा रिश्तों की वजह उनके बीच शारीरिक संबंधों की असंतुष्टि है इसलिए चाणक्य नीति कहती है कि पति और पत्नी को आपस मे इन चीजों के बारे में बेशर्म होकर बात करनी चाहिए ताकि आपके रिश्तों के बीच कोई तीसरा न आ जाये। आजकल के इस घोर कलयुग के समय में चाणक्य की ये पांचों नीतियां काफी कारगर है। आज का यह जमाना ही बेईमानी का जमाना है जहाँ लोग चंद फायदों के लिए किसी के घर तक बर्बाद कर देते है इसलिए पति और पत्नी को बेशर्म होकर आपस में प्यार करना चाहिए ताकि किसी तीसरे को आपके रिश्तों के बीच घुसने की जगह न मिल पाए।
5 : जरूरत पड़ने पर बेशर्म बनकर झूठ बोलें
दोस्तों, दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति नही होगा जिसने कभी झूठ नही बोला होगा। हर व्यक्ति अपने जरूरत के हिसाब से कभी न कभी झूठ कहता ही है। कभी कभी तो हमारे जीवन में ऐसा समय भी आ जाता है जब एक झूठ के कारण कई रिश्ते टूटने से बच जाते है। ऐसे में अगर आप झूठ नही बोलेंगे तो शायद कुछ घर बर्बाद भी हो जाये इसलिए चाणक्य नीति कहती है कि जब कभी आपके सामने कोई ऐसा मौका आये कि झूठ बोलना आपको सच कहने से ज्यादा उचित लगे तो ऐसे में बेशर्म होकर झूठ बोलें
क्योंकि इन हालातों में आपके द्वारा बोला गया एक झूठ सौ सच के समान ही होता है। कुछ लोग सही गलत के नियम के अनुसार और वक्त के मांग के अनुसार झूठ नही बोल पाते है जिसके लिए उन्हें भुगतान भी भरना पड़ता है। अतः चाणक्य नीति के अनुसार कभी कभी जरूरत पड़ने पर बेशर्म की तरह झूठ बोलना भी जरूरी बन जाता है। चाणक्य नीति में बताये गये सभी नियम पूरी तरह से हमारे दैनिक किर्या कलापों पर आधारित है जो एक मायने में उन सभी सवालों का जवाब है जो कभी कभी हमारे मन में उठते है।