अष्टम दिन नवरात्रि – माँ महागौरी पूजा विधि के बारे में आपको हम जानकारी देनेवाले है। शेअर जरूर करना।
नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के अष्टम रूप की पूजा की जाती है। माता महागौरी ही मां दुर्गा का अष्टम रूप है।
अष्टम दिन को अष्टमी भी कहा जाता है। बहुत सारे हिंदू घरों में नवरात्रि के अष्टम दिन अर्थात अष्टमी के दिन
माता महागौरी की पूजा बड़े ही धूमधाम से की जाती है। साथ ही छोटी-छोटी 9 कुंवारी कन्याओं को भोजन भी
कराया जाता है। नवरात्रि के अष्टम दिन को कुंवारी कन्याओं को भोजन करवाना शुभ माना जाता है।
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कन्या पूजन में आने वाली सभी कन्याओं को माता की तरह आदर सत्कार किया जाता है। महागौरी को जो भोजन
दिया जाता है। वही भोजन इन कन्याओं को भी खिलाया जाता है।आज हम अपने ब्लॉग में नवरात्रि के अष्टम दिवस
के विषय में ही चर्चा करेंगे। जो दिवस पूर्ण रूप से माता महागौरी को समर्पित होता है।
माँ महागौरी कौन है?
देवी शैलपुत्री जब भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करना चाहती थी। उस दौरान अत्यधिक
तप के कारण, उनका शरीर सुख सा गया था। वह काली पड़ चुकी थी।
जब भगवान शिव की नजर देवी शैलपुत्री पर पड़ी, तो वह उनके भक्ति एवं तप से बेहद प्रसन्न हुए थे।
उन्होंने उनके काले पड़े हुए शरीर को गंगाजल से धोकर सफेद कर दिया था।
देवी शैलपुत्री के नए रूप को ही महागौरी कहा जाता है। बहुत सुंदर दिखने वाली महागौरी को ही मां
दुर्गा का अष्टम रूप कहा जाता है। माता का स्वरूप कुछ इस प्रकार है- माता सफेद रंग का वस्त्र
धारण करती हैं। इस कारण उन्हें श्वेतांबर धारा भी कहा जाता है। माता की चार भुजाएं हैं।
दाहिने ओर मां त्रिशुल और अभय मुद्रा धारण करती है। बाएं ओर माता डमरु और वरद मुद्रा धारण करती है।
माता महागौरी को वृषारूधा के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि वह बैल की सवारी करती है।
अष्टम दिन नवरात्रि : माँ महागौरी पूजन विधि
पीले वस्त्र धारण कर पूजा का शुभारंभ करें। माता के समक्ष घी का दिया जलाएं और उनका मन से ध्यान करें।
सफेद या पीले फूल से ही मां की पूजा करें। इसके बाद उनके मंत्रों का जाप करें। मां महागौरी को सफेद रंग
बेहद प्रिय है इसलिए आप उनको सफेद फूल और सफेद मिठाई अवश्य अर्पित करें। इत्र भी चढ़ाएं।
सबसे पहले मां महागौरी मंत्र का जाप करें। इसके बाद शुक्र ग्रह के “शुं शुक्राय नमः” के मूल मंत्र का जाप करें।
अपना इत्र देवी को अर्पित करें और उसका प्रयोग हमेशा करते रहें। अष्टमी तिथि को कन्याओं को भोजन
कराने का भी परंपरा है। नवरात्रि केवल एक व्रतोत्सव ही नहीं है। यह संसार की सभी नारी और बेटियों
के सम्मान का भी पर्व है।
कन्याओं को भोजन कैसे कराएं?
अष्टमी के दिन कन्याओं को भोजन करवाने के लिए, आपको 2 साल से लेकर 10 साल तक की उम्र की
कन्याओं को ही भोजन कराना होगा। कन्या पूजन में आपको मां दुर्गा के नौ रूप की तरह नौ कन्याओं को
भोजन करवाना है। यदि आप ना कन्याओं को नहीं ढूंढ पा रहे हैं तो कोई बात नहीं। आप दो कन्याओं
को भी खाना खिला सकते हैं। महागौरी को जो भोग अष्टमी के दिन चढ़ाया जाता है। वही भोग कन्याओं
को भी खिलाया जाता है। महागौरी का प्रिय खाद्य है पूरी और चना। कन्याओं को खाना खिलाने से पहले
आपको उनका अच्छे से स्वागत करना है। उनके पैर धूलाने हैं। फिर उन्हें प्यार से बिठाना है। उनके पैर छूने हैं।
उनसे आशीर्वाद लेने हैं और फिर उन्हें पूजन करवाकर। उन्हें कुछ उपहार स्वरूप भेंट कर कर उन्हें
विदा करना होता है। दोस्तों अष्टमी के दिन संधी पूजा भी की जाती है। महा अष्टमी तिथि नवरात्रि के 9
दिनों में सबसे महत्वपूर्ण तिथियों में से एक है। इस तिथि का पूरे भारतवर्ष के कोने-कोने में पालन किया जाता है।