जिस तरह से मनुष्य को उनके शरीर के गठन, लक्षण इत्यादि के आधार पर नारी एवं पुरुष दो भागों में बांटा गया है। ठीक वैसे ही एक नारी को भी के अपने उम्र शारीरिक एवं मानसिक स्थिति के आधार पर बांटा गया है। नारी को लड़की एवं महिला के रूप में बांटा गया है।आज आपको हम बताएंगे कि क्या फर्क होता है। एक लड़की एवं महिलाओं के बीच।
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लड़कियों और महिलाओं के बीच मुख्य अंतर क्या है?
लड़की किसे कहा जाता है?
एक लड़की एक युवा बच्ची या एक किशोर होती है। एक लड़की अपने जीवन के इस समय में बहुत सारे शारीरिक और मानसिक परिवर्तनों से गुजरती है।
एक लड़की में पर्याप्त मानसिक परिपक्वता भी नहीं होती है। वह अपने भोजन, कपड़े, शिक्षा आदि जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए अपने माता-पिता पर निर्भर होती है। एक लड़की अपने जीवन यापन और बुनियादी जरूरतों के लिए कमा नहीं सकती है। वह अपने लिए निर्णय लेने और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी लेने के लिए पर्याप्त रूप से सक्षम नहीं होती है।
महिला किसे कहा जाता है?
नारीत्व एक महिला के जीवन का वह समय है जहां वह पहले ही अपना बचपन और युवावस्था पार कर चुकी थी। एक महिला को स्वतंत्र व्यक्ति होने और महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को निभाने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से सक्षम इस समय ही माना जाता है।
कुछ महत्वपूर्ण बातों के कारण महिला एवं लड़की अलग होती है
एक प्यार की भूखी होती है तो दूसरी ध्यान आकर्षण करना चाहती हैं महिला एक शब्द में कहने के लिए उत्तम दर्जे की है। वह प्यार की तलाश करती हैं। जब भी लड़की की बात आती है तो उनके संबंध में कहा जाता है कि वह हमेशा ध्यान चाहती हैं।
फैसले लेने का अधिकार एक को होता है दूसरे को नहीं
लड़कियों और महिलाओं के बीच का अंतर उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति है। आम तौर पर, एक लड़की और एक महिला को उनकी उम्र के आधार पर बांटा जाता है। एक लड़की अपने जीवन के फैसले खुद लेने में पूरी तरह सक्षम नहीं होती है, जबकि एक महिला अपने फैसले खुद ले सकती है।
महिला का शरीर पूरी तरह से विकसित होता है और लड़की का विकास की प्रक्रिया में रहता है
एक लड़की अपनी जरूरतों के लिए अपने माता-पिता पर निर्भर रहती है, जबकि एक महिला खुद ही अपनी जरूरतों को पूरा कर सकती है। यह उनके शारीरिक विकास पर भी निर्भर करता है। एक लड़की का शरीर पूरी तरह से विकसित नहीं होता है। इसके विपरीत, एक महिला का शरीर पूरी तरह से विकसित होता है।
लड़की माता पिता के अधीन होती है और महिला पति के अधीन होती है
लड़कियां जब तक अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो जातु और उस लायक नहीं बन जाती। तब तक वह अपने माता-पिता के पास ही रहती है। वहीं अगर बात की जाएं महिलाओं की तो महिलाएं पूर्ण रूप से स्वतंत्र होती है। उन्हें अपनी बात मनवाने के लिए या कोई काम करने के लिए किसी के परमिशन की जरूरत नहीं होती।
आप में से बहुत सारे लोगों को शायद लड़की और महिला के बीच का अंतर नहीं पता था। लेकिन हम दावे के साथ कह सकते हैं कि आज आपको हमारा ब्लॉग पढ़ने के बाद यह चीज पूर्ण रूप से स्पष्ट हो चुका है। लड़कियां व महिलाएं अलग होती हैं और दोनों में बहुत चीजों का अंतर होता है। इसलिए एक को लड़की और दूसरे को महिलाएं कहा जाता है।