मेरी शादी मेरे परिवार वालों ने मेरी इच्छा के विरुद्ध करवाया था। मैं किसी से प्यार करती थी। लेकिन मेरे घर वालों को वह रिश्ता मंजूर नहीं था। इसलिए उन्होंने जल्दबाजी में मेरी शादी करवा दी। शादी के बाद मुझे पता चला कि मेरी शादी जिससे मेरे घरवालों ने करवाई है। वह इंसान बिल्कुल भी अच्छा नहीं है। कारण शादीशुदा होने के बाद भी मेरे पति मुझे धोखा दे रहे था। कम उम्र में शादी होने के कारण सुध बुध भी मुझे कम ही थी। शादी के बाद पहले दिन से ही मुझे मेरे पति और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया था। जो लगभग 1.5 साल तक चला।
उसके बाद मैं मानसिक रूप से इतना बीमार हो गई कि मैंने खुदकुशी करने की भी कोशिश की। बाद में मैं अपने परिवार के पास वापस आ गई थी। लेकिन मेरे मम्मी पापा ने मुझे अपने घर में एक्सेप्ट नहीं किया और मजबूरन मुझे अपने दादा दादी के घर जाना पड़ा। अब मैं तलाक फाइल करना चाहती हूं। लेकिन मेरे पति मुझे तलाक देने को तैयार नहीं है। ऐसा करने पर वह मुझे जान से मारने की धमकी भी दे रहे है। इसलिए मैं जानना चाहती हूं कि मैं किस आधार पर खुद को इस रिश्ते से मुक्त कर सकती हूं क्योंकि हर गुजरते दिन के साथ मेरे पति मुझे परेशान कर रहे है। एक्सपर्ट कृपया मेरी मदद करें।
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हमारी सलाह : पति अगर तलाक ना दें तो क्या करना चाहिए?
पुलिस में रिपोर्ट लिखवाइए
अब से जब भी आपका पति आपको प्रताड़ित करें, तो पुलिस स्टेशन में शिकायत करें। शिकायत करने के साथ-साथ आपके पति ने जो आपके साथ शारीरिक अत्याचार किया है, उसे प्रमाणित करने के लिए चिकित्सा भी जरूर करवाएं। ताकि सच सामने आ सकें। आप अपने पति की क्रूरता के आधार पर तलाक की याचिका दायर कर सकती हैं, वह आपको तलाक देने या ना देने का फैसला नहीं कर सकते हैं। एक बार यदि आपका मामला कोर्ट में पहुंच गया। तो बस आगे की जिम्मेदारी अदालत की होगी।
न्यायमूर्ति द्वारा ही मामला सूलझेगा
यह केवल न्यायालय द्वारा ही तय किया जाएगा कि आपको तलाक मिलेगा या नहीं। कोर्ट से पहले तो किसी की बात नहीं चलेगी। कौन क्या सोचता है या नहीं सोचता। इन सब चीजों से अदालत को फर्क नहीं पड़ता। अदालत को सिर्फ सही फैसले लेने से मतलब होता है।
आपसी मत के आधार पर तलाक लें
सबसे पहले तलाक लेने के लिए लड़की को अपने परिवार की मदद से मामले को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने का प्रयास करना होगा। यदि यह ट्रिक काम नहीं करता है, तो 13-बी हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत आपसी सहमति से तलाक के लिए मनाने का प्रयास करें।
याचिका दायर करें
यदि मामला सौहार्दपूर्ण ढंग से नहीं सुलझाया जाता है और आपसी सहमति नहीं बनती है। तो पहले रखरखाव के लिए सीआरपीसी की धारा 125 के तहत दावा दायर करें। उसके बाद आप हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13 (1) के तहत क्रूरता के आधार पर तलाक के लिए याचिका दायर कर सकते हैं।
आपको एक विवादित तलाक के लिए फाइल करने के लिए मजबूर किया जाता है, आईपीसी के एस 498 ए के तहत शिकायत और डीवी अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत शिकायत दर्ज करने की भी सलाह दी जाती है।
इन सबके अतिरिक्त पति से तलाक लेने के लिए आपके ऊपर किए गए शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना ही पर्याप्त आधार है। आपको स्थानीय वकील से संपर्क करना चाहिए।