चन्द्र ग्रहण के दौरान क्या-क्या काम नहीं करने चाहिए और क्या करने चाहिए?
प्राचीन संस्कृतियों और समाजों के अपने सिद्धांत थे कि रात के आकाश से चंद्रमा कब गायब हो गया। हिंदू शास्त्रों के अनुसार एक चंद्र ग्रहण तब होता है। जब राक्षस देवता – राहु – सूर्य और चंद्रमा को मुंह से पकड़ते हैं। चूंकि, वह एक ‘दानव’ देवता है, आकाशीय घटना बहुत सारी नकारात्मक ऊर्जा का उत्सर्जन करती है। Chandra Grahan : चंद्रग्रहण के वक्त भूलकर भी न करें यह काम, होगा अशुभ
ग्रहण के दौरान क्या नहीं करना चाहिए
भोजन करने की मनाही होती है
चंद्रमा के चक्रों का मानव शरीर पर कुछ शक्तिशाली प्रभाव पड़ता है और इसलिए ग्रहण के दौरान भोजन करने की सलाह दी जाती है। उस दौरान निकलने वाली गैसें आपके पेट के अंदर के भोजन को जहर में बदल देती हैं। यहां जहर एक घातक रसायन का उल्लेख नहीं करता बल्कि प्रतीकात्मक है। आपके पेट के अंदर का भोजन नकारात्मक रूप से प्रतिक्रिया करता है और इसके परिणामस्वरूप अस्वस्थ लक्षण होते हैं।
एक दिन का पुराना खाना भी ना खाएं
इसके अतिरिक्त ऐसा माना जाता है कि ग्रहण से नौ घंटे पहले भी पका हुआ खाना नहीं खाना चाहिए। यदि संभव हो तो ग्रहण के दौरान यात्रा करने से बचना चाहिए।
कोई डील ना करें
जो लोग ज्योतिष में विश्वास करते हैं, वे ग्रहण काल में किसी भी महत्वपूर्ण सौदे को आगे बढ़ाने से बचिए।
गर्भवती महिलाएं सावधान रहें
साथ ही ग्रहण के दौरान भगवान को भोजन नहीं कराना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को सलाह दी जाती है कि वे बच्चे को किसी भी तरह के दुष्प्रभाव से बचने के लिए घरों के अंदर ही रहें। पानी पीने से बचें।
ये गतिविधियां ना करें
चंद्रग्रहण के दौरान तेल मालिश, पीने का पानी, मल-मूत्र विसर्जन, बालों में कंघी करना, दांतों को ब्रश करना और ग्रहण के बाद क्या करें?
ग्रहण के बाद क्या करें?
चंद्र ग्रहण के दौरान तैयार खाद्य पदार्थों को त्याग दिया जाना चाहिए। ग्रहण समाप्त होने के तुरंत बाद, स्नान करें, घर साफ करें और ताजा भोजन तैयार करें। गेहूं, चावल, अन्य अनाज और अचार जैसे खाद्य पदार्थों के कंटेनर में कुशा घास या तुलसी के पत्ते रखें। साथ ही ग्रहण के बाद दान करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है।
इस मंत्र का उच्चारण करें
तमोमया महाभीम सोमसूर्यविमर्दन
हेमतरप्रदनेन मामा शांतिप्रदो भव:
विधुन्तुदा नमस्तुभ्यं सिंहिकानंदनच्युत:
क्या करना चाहिए
ग्रहण में मौन और जप – कहा जाता है ग्रहण के समय भगवान का ध्यान, जप, ध्यान करने से लाखों बार फल मिलता है। इसी के साथ सूर्य ग्रहण के समय मौन छोड़कर जाप करना चाहिए और सूर्य ग्रहण के समय किया गया। जाप एक करोड़ गुना फलदायी होता है। कहते हैं इस दौरान आपका खान-पान ऐसा होना चाहिए कि ग्रहण के दौरान आपको बाथरूम का इस्तेमाल ना करना पड़े।
सभी मंत्र, प्रार्थना, मुद्राएं, जो हम किसी भी पूजा या अनुष्ठान में करते हैं, वे मन की चंचलता को संरेखित करने के साधन हैं। किसी भी ग्रहण- सूर्य या चंद्र को उच्च या दैवीय ऊर्जा से जुड़ने का उच्च समय माना जाता है। यह कुछ आस्था नहीं है लेकिन विज्ञान है।
अपने दुख को भगाएं
छाया कार्य करने के लिए ग्रहण उत्तम समय है। एक कोरा कागज ले और अपने दर्द को लिखे। जिसे आपने अपनी आत्मा में दबा दिया है। हम सभी के मन में कोई ना कोई अनजाना डर रहता है। वो भी लिखे। फिर कागज को जला दें। यह राइट एंड बर्न थेरेपी आपके दिमाग को तुरंत ठीक कर देगी।