ऐसे अद्भुत मंदिर, जिनके रहस्य के आगे बड़े बड़े वैज्ञानिक भी घुटने टेकते है। विज्ञान भी हैरान है।
मंदिर का वातावरण,एक मनोवैज्ञानिक प्रभाव मन में पैदा करता है। मंदिर वह स्थान है जहां एक भक्त जन्म,
मृत्यु, वृद्धावस्था, बीमारी,बच्चों, पत्नी, घर और बाकी दुनिया के बंधनों से मुक्त रहने की कोशिश करता है।
भारत के कोने-कोने में मंदिर है।जहां पर हर साल भक्तों की भीड़ भली-भांति जमती है। लेकिन अभी
लॉकडाउन और कोरोनावायरस के कारण हर तीर्थ स्थान पर नहीं जा सकते हैं भक्त गण।
दोस्तों आज हम अपने ब्लॉग में,पांच ऐसे मंदिरों के विषय में चर्चा करने वाले हैं।जो रहस्यों से घिरे हुए हैं
एवं वैज्ञानिक भी उन मंदिरों के रहस्य को बड़े बड़े वैज्ञानिक जान पाने में असफल रहे है। Indias 5 temple secrets
जिन मंदिरों के रहस्य का पता वैज्ञानिक नहीं लगा पाएं। उनके नाम कुछ इस प्रकार है-
भारत के ये अद्भुत मंदिर आपको अवश्य देखने चाहिये
अद्भुत मंदिर : जगन्नाथ मंदिर, कानपुर जिला
आमतौर पर हमें मानसून की खबर कहां से प्राप्त होती है? जवाब है-मानसून विभाग से।
लेकिन कानपुर जिले में एक ऐसा मंदिर स्थित है जो मानसून की जानकारी दे देता है।
यह मंदिर जगन्नाथ जी का मंदिर है। जो कानपुर के घाटमपुर जिले में स्थित है।
इस मंदिर के संबंध में कहा जाता है कि जब मानसून की स्थिति होने वाली होती है।
उससे पहले ही इस मंदिर के गुंबद से पानी टपकने लगता है।
जिसका अर्थ है मानसून आने वाला है।
कई सारे वैज्ञानिकों ने,इस मंदिर के रहस्य के विषय में पता लगाने का प्रयास किया।
लेकिन वे सभी वैज्ञानिक असमर्थ रहे।
ब्रजेश्वरी देवी मंदिर, कांगड़ा
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में ब्रजेश्वरी देवी का मंदिर स्थित है।
भारत में कुल 51 शक्तिपीठ है।उन 51 शक्तिपीठों में से एक कांगड़ा का बृजेश्वरी देवी मंदिर भी है।
इस मंदिर में ब्रजेश्वरी देवी माता, शिव जी का रूप धारण कर, भैरव जी के साथ रहती है।
इस मंदिर के संबंध में कहा जाता है कि यदि इस मंदिर के आसपास के इलाके में कोई समस्या
उत्पन्न होने वाली रहती है।यह मंदिर संकेत कर देता है।
ब्रजेश्वरी देवी के मंदिर में भैरव बाबा का मूर्ति है। उस मूर्ति के आंखों से आंसू टपकने लगता है।
इसका अर्थ होता है कि मंदिर के आसपास के इलाके में कोई समस्या आने वाली है।
वैज्ञानिक भी अभी तक इस रहस्य का पता नहीं कर पाए कि आखिर कैसे मूर्ति की आंखों से आंसू टपकता है।
ऐरावतेश्वर मंदिर, तमिलनाडु
संगीत की धुन अक्सर हमें अक्सर वाद्य यंत्र से ही सुनने को मिलती है।
क्या आपने कभी भी अपने घर की सीढ़ियों से संगीत की धुन को सुना है?
शायद आप लोग सोच रहे होंगे कि हम यह कैसा सवाल पूछ रहे हैं?
तमिलनाडु में स्थित एरावतेश्वर मंदिर की सीढ़ियों से संगीत की धुन सुनाई देती है।
मंदिर के संबंध में कहा जाता है कि इस मंदिर की सीढ़ियों में जोर से पैर रखने पर
या पटकने पर संगीत की धुन सुनाई देती है।
संगीत का धुन ऐसा प्रतीत होता है, मानो वह किसी वाद्ययंत्र से बजाया जा रहा हो।
हालांकि इस रहस्य का पता वैज्ञानिकों ने बहुत बार लगाया। लेकिन उनके हाथ कुछ नहीं लगा।
मां त्रिपुर सुंदरी मंदिर, बिहार
कहा जाता है कि भक्ति से तो पत्थर भी भगवान बन जाता है। जब वही पत्थर का भगवान
आपस में बातचीत करने लगे तो काफी हैरानी भी होती है।
हम बात कर रहे हैं बिहार के मा त्रिपुर सुंदरी मंदिर के विषय में जहां पर भगवान आपस में
एक दूसरे से बातचीत भी करते हैं। मंदिर की स्थापना किसी तांत्रिक द्वारा किया गया था।
मंदिर में आने जाने वाले भक्त कहते हैं- शायद यह उस तांत्रिक का ही कमाल है।
जिसके वजह से रात में मंदिर में भगवान एक-दूसरे से बातचीत करते हैं। अद्भुत मंदिर जिनके रहस्य
बातचीत की आवाज इतनी दूर तक जाती हैं कि साफ-साफ बाहर तक आवाज सुनाई देता है।
वैज्ञानिकों ने इस मंदिर के विषय में,बहुत बार पता करने का प्रयास किया। लेकिन वे बार-बार असफल हो जाते हैं।
प्राचीन गंगा मंदिर, गढ़मुक्तेश्वर हापुड़
पेड़ों में अंकुर फूटता है। लेकिन शिव जी के माथे में अंकुर फूटते हुए क्या आपने कभी देखा है?
हापुर के गढ़मुक्तेश्वर में प्राचीन गंगा मंदिर में मौजूद शिवलिंग के ऊपर अंकुर अपने आप ही फूटता है।
मंदिर के पंडित कहते हैं कि या अंकुर पूरे वर्ष में एक ही बार निकलता है।
जिसके फूटने के बाद मंदिर में स्थित शिव जी के साथ-साथ, अन्य देवी-देवताओं के रूप-स्वरूप में काफी बदलाव आता है।
वैज्ञानिक इस मंदिर के बदलाव का पता लगाने का बहुत प्रयास कर चुके हैं।
उन्होंने हार भी मान लिया है कि वह पता लगाने में पूर्ण रूप से असफल हुए हैं।
दोस्तों हमने आपको ऐसे अनोखे मंदिर के विषय में जानकारी दिया। जो पूरे भारत में बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है।
इन सभी मंदिरों में,कुछ ना कुछ रहस्य छिपा हुआ है।जिन रहस्यों का पता खुद वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाए हैं।
हम आशा करते हैं आपको हमारा ऐसे अद्भुत मंदिर, जिनके रहस्य के आगे बड़े बड़े वैज्ञानिक भी घुटने टेकते है।
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