मै एक विवाहित महिला हु। इन दिनों हमारी आर्थिक हालत बहुत खराब हो गई है। शनि अमावस्या
आमदनी पहले से बहुत कम हो रही है। खर्चे तो दिन ब दिन बढ़ते ही जा रहे है। पिछले साल ससुरजी
का एक्सीडेंट भी हुआ था। घर में हरदिन झगड़े होते रहते है। पहले जैसा माहौल नहीं रहा है।
मुझे एक ज्योतिषी ने बताया की, शनि साडेसाती के कारण ऐसा हो रहा है। शनिवार की अमावस्या के दिन
दान करो तो घर में शांति, सुख समृद्धि बनी रहेगी। क्या ये सच है ? ये सत्य है, या अंधविश्वास ?
कृपया मुझे बताइए।
हमारी सलाह
सनातन संस्कृति के बहुत से राज आजकल विज्ञान के नाम पर प्रचलित है। हजारों साल पहले ही उन्होंने
बताया है, की कीस दिन ग्रहों की क्या स्थिति रहेगी। हमारा विज्ञान भी सिर्फ सूर्य और चंद्रमा के परिणाम
को जानने में सक्षम हुआ है। मगर बाकी ग्रहों के हमारे शरीर पर प्रभाव को अभीतक सुलझा नहीं पाया है।
वैसे ही शनि साडेसाती के बारे में होगा। विज्ञान नहीं मानता मगर लोग इस काल में बहुत बुरी तकलीफ से
गुजरते है, ये सत्य कोई नहीं नकार सकता। अगर आप आत्मचिंतन करें तो आपको जरूर समझ में आएगा,
जीवन के कुछ साल बेहतरीन होते है, कुछ साल बहुत ही बुरे। इन्ही ग्रहों के अपने शरीर पर पड़नेवाले प्रभाव
से ऐसा होता है। ऐसा प्राचीन ग्रंथों में लिखा है।
नवग्रहों में शनि का महत्व
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नवग्रहों में शनि का विशेष महत्व है। शनिवार,को जो अमावस्या होगी। इसे शनि अमावस्या कहते हैं।
साथ ही यह भी माना जाता है कि शनि देव का जन्म शनिवार अमावस्या तिथि को हुआ था। इसलिए
शनिवार को अमावस्या का दिन होने पर शनि देव की पूजा करना लाभकारी होता है। इस दिन पितरों को जल
चढ़ाने की प्रथा है। धर्मशास्त्रों के अनुसार यदि शनिवार को शनि अमावस्या हो तो इस पर्व का विशेष
महत्व होगा। क्योंकि इस अमावस्या के दिन कई पुण्य कार्य कीये जाते है। इस दौरान शनि से संबंधित कई
परेशानियों और समस्याओं से बचने के उपाय कीये जाते है। इस अमावस्या के दिन परोपकारी कार्यों को करने
साडेसाती की पीड़ा कम होती है, इच्छित कार्य पूर्ण हो जाते हैं।
हिंदू धर्मशास्त्र के अनुसार यह एक बहुत ही दुर्लभ घटना है। शनि अमावस्या साल में केवल दो बार पड़ती है।
कई बार ये अमावस्या योग साल में एक बार भी नहीं आता है। सनातन धर्म और धर्म शास्त्रों के अनुसार
शनिवार के दिन आनेवाली अमावस्या का बहुत महत्व है।
पितृ पीड़ा से मुक्ति कैसे मिल सकती है?
कहा जाता है कि अगर किसी की कुंडली में पितृ पीड़ा है तो उसे शनि अमावस्या तिथि के दिन उससे राहत
मिल सकती है। यह पितरों को जल चढ़ाने और उन्हें संतुष्ट करने का भी काल है। यह भी माना जाता
है कि यह अमावस्या के पुण्यकर्म से स्वास्थ्य में सुधार या जिनको बच्चे नहीं हैं, उनके पुत्रलाभ की संभावना
अधिक होती है।
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यदि किसी को कालसर्प योग की चिंता है तो उसके लिए शनि अमावस्या बहुत ही पवित्र मानी जाती है।
ऐसा माना जाता है कि शनि से संबंधित कई दोषों से मुक्ति पाने के लिए इस दिन दिव्यांगों को दान देने
से भगवान शनि प्रसन्न होते हैं। ऐसे लोगों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।