आयुर्वेद पहले से ही विवाद में घिरा है। कुछ लोग इसे हिन्दू धर्म से भी जोड़ते है। आयुर्वेद अच्छा या एलोपैथी ? दोनों ही चिकित्सा की पद्धति है| दोनों के कुछ फायदे और कमियाँ है। मगर ये भी बात सही है की जितना संशोधन एलोपैथी में हुआ है उतना ही रिसर्च आयुर्वेद में अगर होता तो आयुर्वेद कई गुना बेहतर साबित होता।
आयुर्वेद क्या है? (What is Ayurveda?)
आयुर्वेद की खोज हमारे ऋषि-मुनियों ने सदियों पहले की गई है|आयुर्वेद यानि आयुष और वेद| विश्व की सबसे पुराणी चिकित्सा प्रणाली यानि आयुर्वेद| आयुर्वेद की रचना अश्विनी कुमारो ने की थी। आयुर्वेदिक नुस्खे सबसे अचूक उपाय माने जाते है| भारत में आज भी घर घर में कम या ज्यादा मात्रा में आयुर्वेदिक इलाज किए जाते है। आयुर्वेद
को एक वाक्य में संबोधित करना है तो हम कह सकते है की “रोग की जड़ को खत्म करना “
एलोपैथी क्या है? (What is allopathy?)
आयुर्विज्ञान को आयुर्वेद का हिस्सा माना जाता है| इसमें चिकित्सक/डॉक्टर्स द्वारा इलाज किया जाता है। आयुर्विज्ञान को एलोपैथी कहा जाता है| 1796 में सैमुएल हैनीमेन (जर्मन चिकित्सक) ने एलोपैथी की शुरुआत की थी। अग्रेजो ने एलोपैथिक चिकित्सा का विकास किया। इसलिए इसे अंग्रेजी उपचार पद्धति भी कहते है।
आयुर्वेद कैसे काम करता है? (How Ayurveda Works?)
ब्रह्मांड पांच महान तत्वों पर पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश से बना है| इसी पांच तत्वों पर आयुर्वेद आधारित है|
आयुर्वेद के अनुसार हर व्यक्ति में ३ तरह के रोग होते है| वात रोग, कफ रोग और पित्त रोग| हमारे शरीर में वात, कफ और पित्त रोग का संतुलन आवश्यक है|
वात
हवा और आकाश से संबंधित वात दोष है|
यह हमारे शरीर में सभी प्रकार की जैविक गति और क्रियाओं का संचालन करता है|
पित्त
पानी में आग तत्व पित्त से संबंधित है|
यह शरीर का तापमान, पाचन, अवशोषण सहित चयापचय प्रणाली तथा पोषण को नियंत्रित करता है|
कफ
पानी और पृथ्वी तत्व कफ से संबंधित है|कफ विकास और सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है| यह शरीर के सभी भागों में पानी की आपूर्ति और प्रतिरक्षा प्रणाली को बनाए रखने का कार्य करता है|
आयुर्वेद का उद्देश्य
- स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा
- अपने शरीर, प्रकृति के अनुकूल देश, काल आदि का विचार करना|
- अपनी दिनचर्या में आहार, व्यायाम, योगाभ्यास, शौच, स्नान, शयन, जागरण आदि का पालन|
- गृहस्थ व्यक्ति के लिए उपयोगी शास्त्रोक्त दिनचर्या, रात्रिचर्या और ऋतुचर्या का पालन करना|
- हर कार्य विचारपूर्वक करना|
- अपने मन, इंद्रिय को नियंत्रित रखना|
- परिस्थिति के अनुसार कार्य करना|
- मल, मूत्र आदि वेगों को ना रोकना|
- लोभ, ईर्ष्या, द्वेष, अहंकार आदि से बचना|
- समय-समय पर शरीर में संचित दोष निकलना| दोषों को निकालाने के लिए वमन, विरेचन आदि का प्रयोग करना| जिससे शरीर की शुद्धि हो|
- सदाचार का पालन करना|
- रोगी व्यक्ति के विकारों को दूर करके स्वस्थ बनाना
इसके लिए रोग का कारण, पूर्वरूप, लक्षण, औषध आदी का ज्ञान अत्यावश्यक है|
आयुर्वेद केवल चिकित्सा तक ही सिमित नहीं| आयुर्वेद जीवन को स्वस्थ तरीके से जीने की कला सिखाता है| इसके जरिये पुराने से पुराने रोग से भी छुटकारा पाया जा सकता है|
आयुर्वेद की शुरुवात भारत में हुई थी| पर इसके अनन्यसाधारण महत्व की वजह से आज आयुर्वेद पूरे दुनिया में फ़ैल चुका है| लोग आयुर्वेदिक तरीके से किये जाने वाले इलाज को ही सबसे बेहतर मानने लगे है|
आशा है आपको “आयुर्वेद अच्छा या एलोपैथी ?” यह जानकारी पसंद आई होगी|
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