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चंद्रग्रहण का गर्भ में बालक पर क्या असर होता है?

चंद्र ग्रहण के समय गर्भवती महिला को कुछ खास ध्यान रखना चाहिए।

ताकि बच्चा रहे गर्भ में सुरक्षित और ना हो यह नकारात्मक असर।

हिंदू धर्म में, चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के बहुत से अशुभ प्रभाव माने जाते हैं है।

गर्भवती महिला को चंद्र ग्रहण के समय खास हिदायत दी जाती हैं।

ताकि गर्भवती महिला और बालक, दोनों सुरक्षित रह सके।

ऐसा माना जाता है कि चंद्र ग्रहण किसी को भी लंबे समय तक प्रभावित करता है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार इसमें नकारात्मक ऊर्जा बहुत ज्यादा होती है।

जिस लिए  खासतौर पर गर्भवती महिला को सावधान रहने की जरूरत है।

आइए जानते हैं, चंद्रग्रहण का गर्भ में बालक पर क्या प्रभाव होता है।

शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा

चंद्र ग्रहण के प्रभाव से बचने के लिए गर्भवती महिलाओं को पूजा पाठ करना चाहिए।

ऐसे समय में अपने आराध्य देव या गायत्री मंत्र का जप करें।

गर्भवती महिलाएं चंद्र ग्रहण के समय घर से बाहर निकलने की गलती बिल्कुल ना करें।

माना जाता है कि यदि गर्भवती चंद्रग्रहण को देख लेती है तो वह उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

चंद्र ग्रहण न केवल गर्भवती महिला, बल्कि गर्भ में पल रहे बालक के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर करता है।

चंद्र ग्रहण के प्रभाव से गर्भ में पल रहे शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा उत्पन्न होती है।

ऐसे में शिशु के शरीर पर जन्मांतर से ही भद्दे निशान दिखाई देते हैं।

गर्भस्थ शिशु के अंगों को नुकसान

वैसे तो गर्भवती महिला को चंद्र ग्रहण के समय नींद लेना वर्जित होता है।

परंतु कई बार गर्भावस्था के समय जागते रहना संभव नहीं हो पाता है। 

परंतु जहां तक संभव हो सके, गर्भवती महिला को भगवान के भक्ति में लीन रहना चाहिए।

ग्रहण के समय प्रेग्नेंट महिला नुकीली या धारदार चीजों का इस्तेमाल हरगिज़ ना करें।

चाकू, कैंची या सुई आदि का इस्तेमाल करने से गर्भस्थ बालक के अंगों को नुकसान पहुंच सकता है।

नुकीली चीजों के अलावा गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल में सिलाई कढ़ाई का काम भी नहीं करना चाहिए।

कैसे बचाएं गर्भस्थ शिशु को चंद्र ग्रहण के प्रभाव से

कुछ ना खाएं

ग्रहण लगने के पश्चात गर्भवती महिला को कुछ भी नहीं खाना चाहिए।

ऐसी मान्यता है कि ग्रहण के समय हानिकारक करने भोजन को भी प्रभावित करती हैं।

ऐसा दूषित भोजन ग्रहण करने से मां और बालक के स्वास्थ्य पर असर होता है।

इसके अलावा ग्रहण काल में किसी भी औषधि का सेवन करना भी वर्जित होता है।

गर्भवती महिला ग्रहण लगने के बाद भगवान जी की प्रतिमा को भी ना छुए।

गर्भवती स्त्री करें स्नान

चंद्र ग्रहण का समय पूर्ण होने के पश्चात गर्भवती महिला को स्नान अवश्य करना चाहिए।

मान्यता है कि यदि गर्भवती महिला शुद्ध जल से स्नान नहीं करती तो शिशु को त्वचा रोग हो सकते हैं।

मंत्र जाप

गर्भवती महिला को ग्रहण काल में निरंतर मंत्र जाप करते रहना चाहिए।

धार्मिक मान्यता के अनुसार चंद्र ग्रहण में मंत्र जप का बहुत महत्व है।

ऐसा करने से गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य की भी रक्षा होती है।

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