क्या महिला होना गुनाह है?
क्या महिला होना गुनाह है? एक साल पहले एक एक्सीडेंट में मेरी पति की मृत्यु हो गई थी।
फिर मैंने नौकरी करने का सोचा और जिंदगी में आगे बढ़ने का निर्णय लिया। एक अच्छी
कंपनी में मैं आज नौकरी भी कर रही हूं। लेकिन फिर भी मेरे पति के घर वाले मुझसे खुश नहीं है।
वह आज भी मुझे अपने पति के मौत का जिम्मेदार मानते हैं। आखिर क्यों समाज में महिलाओं
को हर चीज़ के लिए दोषी माना जाता है।
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हमारी सलाह : क्या महिला होना गुनाह है?
यह सवाल हर उन विधवाओं का है जो समाज में आज भी प्रताड़ित की जाती हैं। कभी उनके घर
वालों के द्वारा तो कभी समाज के लोगों द्वारा।
आखिर क्यों हमारे समाज में एक विधवा को खुलकर जीने की आजादी आज भी नहीं दी जाती।
महिलाओं के बारे में पुरानी सोच को बदलना होगा
हमारा समाज पुरुषवादी समाज है। जब तक यह बात हम सबके अंदर रहेगी। तब तक हमारे समाज
में पुरुषों का दबदबा ही बना रहेगा। इसलिए हमें ऐसे सोच को ही खत्म कर देना है।
जब लोगों के मन में सोच ही गलत नहीं होगी। तो वह अच्छा सोचेंगे कुछ नया सोचेंगे।
विधवा महिला भी एक इंसान है
हमारे भारत देश की सरकार अपने देश के सभी नागरिकों को खुलकर जीने का अधिकार देती है।
किसी भी कानून की किताब पर नहीं लिखा है कि विधवाएं अपनी इच्छा अनुसार नहीं चल सकती।
यदि किसी औरत का पति मर चुका है तो उसमें उसकी कोई गलती नहीं है। यदि एक विधवा
अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहती है तो उसमें गलत ही क्या है। किसी को किसी के मौत का
जिम्मेदार मान लेने से वह जिम्मेदार नहीं हो जाता।यदि आप एक विधवा को अपने जिंदगी में आगे
बढ़ने से रोकेंगे। तो ऐसा करके आप समाज को आगे बढ़ने से रोक रहे हैं।
इसलिए एक विधवा को विधवा की तरह नहीं बल्कि एक इंसान के रूप में ट्रीट कीजिए।
समाज के बातों को इग्नोर कर आगे बढ़िए
यदि आप एक विधवा है और आपको यह समाज गंदी बातें कह रहा है। आपको नौकरी से जाने पर रोक रहा है।
आप उनकी सभी बातों को नजरअंदाज कीजिए। सिर्फ अपने लक्ष्य पर फोकस कीजिए।
एक बात याद रखिएगा कि यह समाज तब तक बोलेगा जब तक वह थक नहीं जाता।
इसलिए आप उनकी बातों को इग्नोर करते हुए आगे बढ़े क्योंकि जिंदगी आपकी है ।
इसे आपको ही सवांरना है। समाज वाले कल भी बोलते थे। आज भी बोलते है और वह हमेशा बोलते ही रहेंगे।
बस उन्हें एक मुद्दा चाहिए बोलने के लिए। इसलिए सफलता के सीढ़ियों पर एक एक कदम आगे बढ़ाइए।
गलत आप में नहीं लोगों की सोच में है
यदि लोग आपको किसी चीज के लिए गलत मानते हैं। तो इसमें आपकी सच में कोई गलती नहीं है। क्या महिला होना गुनाह है?
लोगों की सोच जब तक गलत होगी। तब तक वह हर चीज को अपनी सोच के अनुसार गलत ही समझेंगे।
किसी की सोच को हम कभी भी नहीं बदल सकते। इसलिए दूसरों के लिए अपने मन को कभी छोटा मत होने दीजिए।
हमारे भारत देश को आजाद हुए बहुत सारे साल हो गए हैं। लेकिन आज भी हमारे समाज में कुछ ऐसे लोग रहते हैं।
जो कुप्रथाओं को मानते हैं और उनके गलत सोच और प्रथा के कारण। आज ना जाने कितने अपराध जन्म लेते हैं।
अपनी सोच बदलिए। किसी को दोष देने से सच नहीं बदल जाता। इसलिए खुद को बदलिए।