गर्भवती महिलाओं को सूर्य ग्रहण में क्या क्या नहीं करना चाहिए?
दोस्तों हम सभी 2022 वर्ष में प्रवेश कर चुके हैं। इस वर्ष को 3 महीने पूरे भी हो चुके हैं। इसी वर्ष के चौथे महीने के आखिरी दिन इस साल का पहला सूर्य ग्रहण आने वाला है। अर्थात 30 अप्रैल को सूर्य ग्रहण आने वाला है। जो भले ही सूतक हो भारत में ना दिखे। लेकिन इसका असर थोड़ा सा होने वाला है। ऐसे समय में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। इस बात को जानने के साथ-साथ यह भी जानना जरूरी है कि सूर्य ग्रहण के दौरान किन लोगों को सबसे ज्यादा सावधान होना चाहिए।
सूर्य ग्रहण और गर्भवती महिला : क्या ग्रहण के दौरान गर्भावस्था को नुकसान पहुंच सकता है?
अक्सर यह कहा जाता है कि सूर्य ग्रहण के दौरान सबसे ज्यादा गर्भवती महिला को बचना चाहिए। इसके पीछे बहुत सारे मुख्य कारण है। आज हम इन सभी बातों को विस्तार पूर्वक जानेंगे।
क्यों ध्यान रखना चाहिए गर्भवती महिला को ग्रहण के दौरान?
कहा जाता है कि हमारी प्रकृति जिसे हम अपनी माता भी कहते हैं। यह सबसे ज्यादा संवेदनशील तब होती है, जब सूर्य ग्रहण एवं चंद्र ग्रहण होता है। इसी समय ग्रहण का बुरा असर गर्भवती महिलाओं पर भी पड़ता है। इसलिए हमारे बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को बहुत ही सावधानी से रहना चाहिए। ताकि उसके गर्भ में पल रहे संतान को किसी भी प्रकार की कोई समस्या ना हो।
शास्त्र एवं विज्ञान ग्रहण के संबंध में क्या कहते हैं?
शास्त्र एवं विज्ञान दोनों ही ग्रहण के संबंध में कहते हैं कि ग्रहण के दौरान जो भी तरंगे निकलती है। वह सबसे ज्यादा लोगों को प्रभावित करती है। इसलिए यह भी सलाह दी जाती है कि ग्रहण के दौरान यदि आवश्यक ना हो तो घर से बाहर बिल्कुल भी ना कदम रखें। गर्भवती महिला को तो बिल्कुल भी घर के बाहर नहीं निकलना चाहिए। सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण ग्रहण। गर्भ धारी महिला को खुद को एवं खुद के बच्चे को हमेशा ग्रहण की रोशनी से बचाना चाहिए। वरना ग्रहण का असर गर्भवती महिला के बच्चे पर सीधा पड़ सकता है।
सूर्य ग्रहण से पहले गर्भवती महिलाओं को क्या-क्या काम करना चाहिए?
सूर्य ग्रहण से पहले एक गर्भवती महिला का सबसे पहला धर्म यह होता है कि वह खुद को एवं अपने गर्भ को गेरू से लेप कर लें। इससे मां एवं बच्चे दोनों ही सुरक्षित रहेंगे। अब प्रश्न यह उठता है कि आखिरकार यह गेरू क्या है एवं इसके लेप से एक गर्भवती महिला एवं उसके बच्चे को ग्रहण के दौरान कैसे सुरक्षा प्रदान होगी।
ग्रहण से पहले अवश्य ही गंगाजल पी लें। इससे आप ग्रहण से होने वाले किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव से बच सकती हैं। ऐसा करने से आप एवं आपका होने वाला बच्चा दोनों ही सुरक्षित रहेंगे।
जब सूर्य ग्रहण लगे। उससे पहले ही आप अपने पास एक नारियल जरूर रख लें। इससे ग्रहण के दौरान फैलने वाली नकारात्मक ऊर्जा से आप सुरक्षित रहेंगी एवं आपको किसी भी प्रकार कि गलत उर्जा छू भी नहीं सकेगी।
गेरू क्या है एवं यह कहां मिलेगा?
गेरू के संबंध में कहा जाता है कि यह एक प्राकृतिक मिट्टी है। जो पूरी तरह से लाल रंग का होता है। यह अक्सर खादानों में मिलता है। गेरू मिट्टी का प्रयोग मिट्टी के मटके में किया जाता है। जी, हां मिट्टी के मटके को लेप करने के लिए गेरू मिट्टी का प्रयोग किया जाता है।
इस प्राकृतिक मिट्टी में इतनी शक्ति होती है कि यह ग्रहण के दुष्प्रभाव से गर्भवती महिला को बचाता है। इसीलिए गर्भवती महिलाओं को ग्रहण से पहले इस प्राकृतिक लाल मिट्टी अर्थात गेरू से उसके गर्भ में लेप करने की सलाह बड़े बुजुर्गों द्वारा दी जाती है।
गेरू का प्रयोग कहां-कहां किया जाता है?
जिन लोगों को गंजेपन की समस्या हैं। वह लोग भी गेरु के द्वारा गंजेपन की चिकित्सा करवा सकते हैं। गेरू का कोई साइड इफेक्ट नहीं है क्योंकि यह एक प्राकृतिक पदार्थ है। पहले के समय में रंगोली बनाने के लिए गेरू का ही प्रयोग किया जाता था।
ग्रहण वाले दिन गर्भवती महिला घर से बाहर ना निकले
यदि आप या आपका परिवार आपके बच्चे पर ग्रहण के प्रभाव को लेकर चिंतित हैं, तो घर के अंदर रहने में कोई बुराई नहीं है। आखिरकार, यह केवल कुछ घंटों के लिए है और अगर यह आपको और आपके परिवार को मानसिक शांति प्रदान करता है, तो आपको उनका मन रखना चाहिए। लेकिन देर रात होने वाले ग्रहण से बचना आसान है, लेकिन सूर्य ग्रहण से खुद को बचाना कठिन हो सकता है।
ग्रहण चाहे कोई सा भी हो सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण इन दोनों ही ग्रहण का असर पड़ता है। आने वाले बच्चे के लिए इस बात का ख्याल जरूर रखना चाहिए। कारण गर्भवती महिला को ग्रहण वाले दिन गलती से भी घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। इसके पीछे का मूल कारण यह है कि आकाश पर्वत से पृथ्वी की ओर बुरी तरंगों से प्रवेश होता है। ऐसे समय में गर्भवती महिला का सामना उन तरंगों से ना हो इसीलिए उन्हें गेरू का लेप लगाने के लिए कहा जाता है।
यदि बहुत जरूरी हो बाहर निकलना तब क्या करना चाहिए?
वैसे तो कोशिश करना चाहिए कि ग्रहण वाले दिन गर्भवती महिला को घर से बाहर नहीं निकलना है। लेकिन यदि काम जरूरी है। तो फिर निकलना ही पड़ेगा। ऐसे समय में अपने आप को ढक कर रखें। इससे ग्रहण का बुरा समय पर बिल्कुल भी नहीं पड़ेगा। ग्रहण के दौरान सूतक काल लगने से पहले मुंह में तुलसी पत्ता जरूर रखें और हनुमान चालीसा का पाठ भी जरूर करें।
गर्भवती महिला को ग्रहण के दौरान क्या करना चाहिए?
ग्रहण की अवधि के दौरान, कैंची या सुई जैसी नुकीली वस्तु का प्रयोग ना करें। ग्रहण के दौरान कुछ भी ना खाएं। ग्रहण के समय जितना हो सकें, आराम करें। अपने पूरे घर की खिड़कियों को अखबार या मोटे पर्दों से ढक दें। ताकि ग्रहण की किरणें आपके घर में प्रवेश ना कर सकें और आप सुरक्षित रह सके। ग्रहण से पहले अपने सभी पके हुए भोजन को घर के बाहर फेंक दें।
एक बार जब ग्रहण की अवधि समाप्त हो जाएं तो उसके बाद ही स्नान करें। गर्भवती महिला को ग्रहण के दौरान पानी भी नहीं पीना चाहिए।
ग्रहण के दौरान सूर्य की ओर ना देखने की भी सख्त सलाह दी जाती है क्योंकि इसकी दूषित किरणें आंखों पर बुरा प्रभाव डाल सकती हैं।
ग्रहण के समय, गर्भवती महिलाएं भगवान सूर्य के मंत्रों का जाप कर सकती हैं या वे अपनी इष्ट देव या देवी की पूजा भी कर सकती हैं।
सभी खगोलीय घटनाओं से जुड़ी ज्योतिषीय मान्यताएं हैं। इसी तरह, सूर्य ग्रहण से भी कई मान्यताएं और अनुष्ठान जुड़े हुए हैं। ऐसी ही एक मान्यता ‘गर्भवती महिलाओं’ से जुड़ी है। ज्योतिष विद्वानों के अनुसार सूर्य ग्रहण गर्भावस्था को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि इस दौरान बुरी शक्तियां सक्रिय हो जाती हैं और गर्भवती महिलाओं और उनके अजन्मे बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
गर्भवती महिलाओं पर सूर्य ग्रहण का क्या प्रभाव पड़ सकता है?
विभिन्न हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ग्रहण गर्भवती महिलाओं के लिए अशुभ है और इसलिए उन्हें इस अवधि के दौरान अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। हिंदू कथा, शास्त्र, नीतिवाचक कथन, अनुभवों के अनुसार गर्भवती महिला को विशेष बात का ध्यान रखना है-
करने योग्य काम
सूर्य ग्रहण से नकारात्मक ऊर्जा निकलती है, इसलिए गर्भवती महिलाओं को अपने अजन्मे बच्चे की रक्षा के लिए मंत्रों का जाप करने की सलाह दी जाती है। गर्भवती महिलाओं को यह भी सलाह दी जाती है कि घर में सूर्य की किरणों से बचने के लिए खिड़कियों को मोटे पर्दों से पूरी तरह ढक लें। ताकि सूर्य की किरणें प्रवेश ना करें।
ना करने योग्य काम
गर्भवती महिलाओं को अपने घरों से बाहर नहीं निकलना चाहिए। ऐसा करने से समय से पहले प्रसव या जन्म संबंधी असामान्यताएं हो सकती हैं। उन्हें सूर्य की ओर देखने से भी बचना चाहिए।
हाथों की हथेली क्या कहती है?
हजारों वर्षों से हिंदू धर्म में गहरी जड़ें जमाने वाले मिथक हैं। ग्रहण एक प्राकृतिक घटना है और इसका आपकी गर्भावस्था पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। तो, इस तरह के ग्रहण अभ्यास में विश्वास करना या न करना पूरी तरह से एक व्यक्ति की पसंद है। यदि आप अपेक्षा कर रहे हैं, तो बहुत लंबे समय तक उपवास की स्थिति में ना रहें। ग्रहण से पहले और बाद में अच्छी तरह से खाएं और पिएं।
निष्कर्ष
गर्भावस्था एक बड़ा बदलाव हो सकता है। जो होने वाली मां के स्वास्थ्य से संबंधित है, इसलिए लोग बहुत सी सावधानियों का पालन करते हैं। पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार, यह कहा जाता है कि चंद्र ग्रहण, या चंद्र ग्रहण बच्चे के जन्म के दौरान विकृति पैदा कर सकता है, गर्भवती महिला के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है और साथ ही फटे होंठ या जन्म के निशान भी बन सकता है। ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं पर सूर्य या चंद्रमा की सीधी किरणें पड़ती हैं। चूँकि कुछ मान्यताएँ इतने लंबे समय से हैं, और इसका पालन भी किया जाता हैं। यह एक तरह का सांस्कृतिक आदर्श बन गया है और इसका गहराई से पालन किया जाता है। चूंकि मामला गर्भावस्था से संबंधित है, इसलिए कई परिवार बच्चे के स्वास्थ्य की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं और कोई जोखिम नहीं उठाते हैं। यह गर्भवती महिलाओं और नई माताओं पर भी लागू होता है, क्योंकि यह महिला और बच्चे दोनों के जीवन से संबंधित है।