नवरात्रि नवम दिन माँ सिद्धिदात्री पूजन विधि अब सारी मनोकामनाएं पूरी। बस अपनाए ये उपाय
नवरात्रि के अंतिम दिन देवी सिद्धिदात्री की ही पूजा की जाती है। देवी सिद्धदात्री के नाम का अर्थ
कुछ इस प्रकार है- सिद्धि का अर्थ है ध्यान करने की क्षमता और धात्री का अर्थ है दाता।
माँ दुर्गा के नवम रूप को धारण करने वाली देवी सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान होती है। दोस्तों आज
हम अपने ब्लॉग में नवरात्रि के अंतिम दिन अर्थात नवमी के विषय में चर्चा करेंगे।
जो पूर्ण रूप से माता सिद्धिदात्री को समर्पित होता है।
माता सिद्धिदात्री कौन है?
प्राचीन या पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि भगवान शिव को सारी शक्तियाँ
देवी सिद्धिदात्री की कृपा से ही प्राप्त हुआ था। इसलिए शिव जी को अर्धनारीश्वर के नाम से भी जाना जाता था।
उनकी चार भुजाएँ हैं। माता की भुजाओं में कमल, गदा, शंख और चक्र रहता हैं।
सिद्धिदात्री देवी का महत्व यह है कि माता आपकी भक्ति से प्रसन्न होकर आपको आपके इच्छा मत फल अवश्य देंगी।
माता सिद्धिदात्री तप की देवी है। इसलिए वह अपने भक्तों से जल्दी खुश हो जाती है।
मासिद्धिदात्री की कृपा जिनके ऊपर पड़ जाती हैं। वह अपने जीवन के हर दुखों से मुक्ति पा जाते हैं।
देवी की कृपा बहुत चमत्कारी होती है। उनके भक्तों के जीवन में माता की कृपा से अचानक से चमत्कार होने लगते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि जिस भी भक्त पर माता सिद्धिदात्री की कृपा बनती है उसका जीवन सुधर जाता है।
एक साधारण सा इंसान ऊंचाइयों तक पहुंच जाता है। कम सोचने वाला व्यक्ति अच्छा सोचने लगता है।
ऐसे चमत्कार देखने को मिले हैं। माता सिद्धिदात्री को अष्ट सिद्धि भी कहा जाता है क्योंकि माता के भक्तों
को माता की पूजा करने से अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, और वशित्व नाम की
आठ सिद्धि प्राप्त होती है।हनुमान चालीसा में भी इन आठ सिद्धियों का नाम उल्लेख है।
माता सिद्धिदात्री की विशेषता यह है कि उनकी पूजा देवता से लेकर असुर तक सभी करते हैं।
नवरात्रि नवम दिन माँ सिद्धिदात्री पूजन विधि
नवमी तिथि के अनुसार माता सिद्धिदात्री की पूजा नवरात्रि के दिन की जाती हैं।
माता का दिन नवरात्रि का नवम दिन (नौवां दिन) होता है। इसलिए आप माता को नौ लाल रंग के फूल अवश्य अर्पित कीजिए।
यदि आपको कमल का फूल मिल जाएं, तो आप कमल का फूल जरूर अर्पित कीजिए।
माता कमल में ही विराजमान होती हैं और यदि आप कमल का फूल माता के श्री चरणों में अर्पित करेंगे,
तो माता आप से बहुत प्रसन्न होंगी। माता सिद्धिदात्री की पूजा के बाद ही नवरात्रि का 9 दिन भी समाप्त हो जाता है।
इसलिए नवरात्रि के अंतिम दिन 9 तरह का भोग अवश्य चढ़ाएं माता को।
नवमी के दिन भी बहुत सारे हिंदू घरों में नौ कन्याओं को भोजन कराया जाता है।
यदि आप भी भोजन करवाना चाहते हैं तो आप करवा सकते हैं।
इसके अतिरिक्त आप दान दक्षिणा इत्यादि भी कर सकते है।
यदि आपको कोई भूखा व्यक्ति दिख जाए तो आप नवमी के दिन अवश्य ही उसे खाना खिलाए।
मंत्र- ॐ सिद्धिदात्री देव्यै नमः
दोस्तों यदि आप की भी कोई मनोकामना है। जिसे आप पूरा करना चाहते हैं। तो जरूर माता सिद्धिदात्री की पूजा
कीजिए क्योंकि माता अपने भक्तों की हर मनोकामना को जरूर पूरा करती हैं।