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उस शाम उसने मुझे एक हॉटेल में मिलने बुलाया…

एक मीडिल क्लास में रहने वाले लड़की के लिए ये बहुत ही मुश्किल हो जाता है कि वो अपने घरवालों से यह कह सके कि मुझे किसी लड़के से प्यार है और मैं उसके साथ शादी करना चाहती हूं , ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ था। मेरे कॉलेज में एक लड़का पढ़ता था जो मुझे बहुत ही ज्यादा पसंद किया करता था । फिर क्या था , धीरे धीरे हमारा प्यार इतना बढ़ गया कि हमनें एक दूसरे के साथ शादी करने की ठान ली थी। हम रोज मिला करते थे और घण्टों बातें किया करते थे । लगने लगा था मानों ऊपर वाले ने ही हमारी जोड़ी बनाई है लेकिन इसी बीच पापा मेरे लिए एक रिश्ता लेकर आये और फिर मेरी शादी हो गई ।

चाहकर भी मैं पापा से यह कह न पाई कि मैं किसी और से शादी करना चाहती हूँ । आज यूँ उसके अचानक मेरी जिंदगी में वापस आ जाने से वो सारी यादें फिर से ताजा हो गई है। एक दिन मैं शॉपिंग करने मॉल गई थी वहाँ अचानक मुझे वो मिला , उसे देखकर तो जैसे पुरानी यादें फिर से ताजा हो गई । उस दिन हमनें बहुत सारी बातें की और फिर ये बात चीत का दौर यूँ ही चलता रहा । कभी फोन पर तो कभी व्हाट्सऐप्प पर बातें करने का सिलसिला यूँ ही चलता रहा। मैं तो जैसे बस अपने पति के ऑफिस जाने का इंतज़ार करती थी और फिर उनके जाने के बाद घण्टों घण्टों तक हम बेफिक्र होकर फ़ोन पर बातें किया करते थे।

शादी के कुछ सालों बाद मेरा पहला प्यार मेरी जिंदगी में वापस आ गया है, मुझे क्या करना चाहिए ?

धीरे धीरे हमलोग पहले की ही तरह करीब आते जा रहे थे। शुरू शुरू में बात करने से जो थोड़ा बहुत झिझकते भी थे अब तो वो भी खत्म हो चुकी थी। अब तो हमारे बीच आहिस्ता आहिस्ता शर्म का पर्दा भी हटने लगा था और आखिरकार हुआ वही जिसका डर था। उस शाम उसने मुझे एक हॉटेल में मिलने बुलाया , वजह तो मुझे भी मालूम था लेकिन शादी के इतने सालों बाद वापस अपने प्यार से यूँ अकेले मिलने जाना क्या सही रहेगा ? कभी मन हां कहता है तो कभी ना, बताएं मुझे क्या करना चाहिए ? 

हमारी सलाह : उस शाम उसने मुझे एक हॉटेल में मिलने बुलाया…

ये बात तो लाज़मी है कि जिससे आप एक समय में इतना बेइंतहां प्यार करते थे वो अगर अचानक यूँ आपके सामने आ जाए तो दिल में विचारों की उथल पुथल होना तो स्वाभाविक है लेकिन आपका वास्तविक जीवन भी तो एक सच्चाई है जिसे आप बदल नही सकती है। एक शादीशुदा जिंदगी में जब कोई तीसरा आता है तो शुरू शुरू में ये सब कुछ बहुत अच्छा लगता है । जब बातें करते करते काफी वक्त हो जाता है और शर्म का पर्दा हटने लगता है तब एक आखिरी बार मिलने का मन होना तो स्वाभाविक है।

इस वक्त ऐसा लगता ही है कि बस एक बार मिलकर बातें कर लूं लेकिन जब आप भावनाओं में आकर अपनी  मर्यादा लांघ देते है तो यही खुशियां आत्मग्लानि में बदल जाती है जो आपको कभी भी चैन से जीने नही देगी इसलिए इस नाजुक वक्त में अपने आप पर काबू पाएं । इस बात को समझ लीजिए कि यही सही समय में जब संभल जाना चाहिए।

जमाना आपको गलत ही समझेगा

देखिए अगर एक समय में आप लोग इतने करीब थे तो इतना आसान नही होता है कि फिर से शुरू हुई बातचीत को इतनी आसानी से खत्म कर दिया जाए। ऐसे समय में आप ऐसा कर सकते है कि सामान्य दोस्त की ही तरह बातचीत का दौर चालू रखें लेकिन अपने इस रिश्ते को जिस्मानी न बनने दें। दोस्तों की ही तरह बातें करने और मिलने में कोई हर्ज नही है अगर भविष्य में आपके पति को भी इस बात की जानकारी होती भी है तो उन्हें भी कोई फर्क नही पड़ेगा लेकिन अगर आप यूँ अकेले में मिलने चली जायेगी।

फिर भले ही आप दोनों के बीच कुछ न हुआ हो लेकिन जमाना आपको गलत ही समझेगा और ये सारी बाते छिपाए नही छिपती है। एक न एक दिन आपके परिवार के सामने ये बात जरूर आ जाएगी तब आप शर्म से किसी से भी नजरें नही मिला पाएगी। अक्सर इन्हीं कारणों से कई लोगों के घर टूट भी जाते है इसलिए आपको ये गलती नही दोहरानी चाहिए।   

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