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मांँ कालरात्रि पूजा विधि | नवरात्रि का सातवा दिन |

मांँ कालरात्रि पूजा विधि | नवरात्रि का सातवा दिन | आज हम नवरात्री के सातवे दिन के बारे में बताएंगे

नवरात्रि के सात्वें दिन देवी दुर्गा के सात्वें रूप की पूजा की जाती है। यह दिन माता कालरात्रि को समर्पित होता है।

मां काली को ही काल रात्रि कहाँ जाता है। मां दुर्गा का यह रूप सबसे भयानक है। यह रूप सभी राक्षसों, भूतों

और नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश करता है। आज हम नवरात्रि के सात्वें दिन के विषय में बात करेंगे। इसलिए

हमारे ब्लॉग को अंत तक पढ़िए।

मां कालरात्रि कौन है?

देवी कालरात्रि को ही मां काली कहा जाता है। यह देवी दुर्गा का सप्तम अवतार हैं। 

नवरात्रि के सात्वें दिन, इनकी जमकर पूजा हिंदू मान्यताओं के अनुसार की जाती है।

पूर्णता के प्रतीक के रूप में देवी कालरात्रि को जाना जाता है। सातवा दिन

देवी कालरात्रि की पूजा करने वाले भक्त जनों को माता प्रसन्न होकर पूर्णता,प्रसन्नता एवं हृदय की

पवित्रता अर्थात एक अच्छा मन प्रदान करती हैं। माता काली की पूजा अमावस्या की रात को की जाती है

क्योंकि इन्हें अंधेरी रातों में शक्ति प्रदान करने वाली देवी के रूप में अर्थात काल रात्रि के रूप में जाना जाता है।

समय और मृत्यु के संहारक के रूप में भी देवी कालरात्रि को जाना जाता है।

देवी ने अपने सुंदर रूप को हटाकर काल रूप को ग्रहण किया। ताकि वह शुंभ-निशुंभ राक्षसों का वध कर सके।

हिंदू धर्म में कहां जाता है कि,माता के उग्र रूप में शुभशक्ति होता है। इसलिए उनको देवी शुभंकरी भी कहा जाता है।

वह अपने भक्तों को निडर बनाती हैं। साथ ही अपने भक्तों को बुरी शक्तियों और आत्माओं से बचाती है।

माता कालरात्रि पूजा विधि

मां कालरात्रि का रूप काला होता है। लेकिन आपको काले रंग का वस्त्र पहनकर या किसी को हानि

पहुंचाने के लिए मां कालरात्रि की पूजा बिल्कुल भी नहीं करनी है।

अब सफेद या लाल रंग के वस्त्र पहनकर पूजा में बैठ सकते हैं।

सुबह स्नान ध्यान कर माता के समक्ष दिए जलाकर पूजा कीजिए।

माता को नींबू का माला पहनाएं।देवी कालरात्रि की पूजा लाल फूल के बिना अधूरी होती है।

ब्रह्म मुहूर्त में मां काल रात्रि की पूजा करना शुभ माना जाता है।

मांँ कालरात्रि पूजा विधि | नवरात्रि का सातवा दिन |

यदि आप अपने तंत्र साधना के लिए मां कालरात्रि की पूजा करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको

आधी रात को पूजा करना होगा। माता के गले में नर मुंडो की भी माला होती है।

मांँ कालरात्रि को पान सुपारी देना बिल्कुल भी ना भूलिए। यह चढ़ाना बहुत जरूरी होता है।

मां कालरात्रि का स्वरूप कुछ इस प्रकार है-

कालरात्रि के बाल बिखरे होते है, आंखों में राक्षसों के लिए गुस्सा और इनका शरीर घोर अंधकार जैसे काला होता है।

माता को भोग में काले रंग की वस्तु अर्पित करें। जैसे- काला चना, काला तुलसी,काली मिर्च आदि।

यदि आप नकारात्मक ऊर्जा से बचना चाहते हैं तो मां कालरात्रि को अवश्य ही गुड़ चढाइए।

इसके अतिरिक्त नकारात्मक ऊर्जा को हटाने के लिए आप नींबू काटकर भी माता को अर्पित कर सकते हैं।

मां कालरात्रि का सप्तशती मंत्र

“या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।”

दोस्तों आज हमने नवरात्रि के सातवें दिन के विषय में चर्चा किया है। यह दिन माता कालरात्रि को पूर्ण रूप से

समर्पित होता है। माता कालरात्रि की पूजा अर्ध रात्रि में एवं ब्रह्म मुहूर्त में भी किया जाता है। 

अर्ध रात्रि में माता के तांत्रिक रूप की पूजा की जाती है और ब्रह्म मुहूर्त में घरेलू पूजा पाठ किया जाता है। माता

अपने भक्तों को भूत,पिशाच इत्यादि के भय से मुक्त कर देती है।

यदि आप भी माता कालरात्रि की उपासना करना चाहते हैं,तो नवरात्रि के सात्वें दिन अवश्य ही माता की उपासना कीजिए।

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