तलाकशुदा महिलाओं का चरित्र और समाज
हमारे समाज में एक तलाकशुदा पुरुष को उतने सवालों का जवाब नहीं देना होता। जितना कि एक तलाकशुदा महिला को तलाक लेने के बाद देना पड़ता है। तलाकशुदा महिला को समाज में इन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इन सब के पीछे का मूल कारण हमारे द्वारा बनाए गए नियम एवं कानून है। जो सालों पुराने हमारे पूर्वज एवं उनके पूर्वजों द्वारा बनाया गया था।
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हमारे समाज में आज भी महिलाओं को खुलकर जीने की आजादी नहीं है। इसी वजह से एक तलाकशुदा महिला को आज भी हमारे समाज में कई सारी परेशानियों से गुजरना पड़ता है। यहां तक की उनके चरित्र पर उंगली उठ जाता है। कहा जाता है कि उन्हीं की गलतियों की वजह से उनके पति ने उन्हें छोड़ा है। जबकि हर तलाकशुदा औरत की कहानी एक नहीं होती है। लेकिन हमारा समाज सभी को सिक्के के एक ही पहलू पर रखता है।
दोबारा शादी करने पर तलाकशुदा महिलाओं का विरोध होता है
जब भी एक तलाकशुदा औरत अपने जीवन को एक नए सिरे से शुरू करना चाहती है। तभी हमारा महान समाज उस औरत के पीछे हाथ धोकर पड़ जाता है। जबकि हमारे समाज का यह करतब होना चाहिए कि उसे मदद करें। ताकि वह अपने नए जीवन की शुरुआत सही ढंग से कर सकें।
तलाकशुदा महिला के चरित्र पर उंगली उठा देते हैं
बिना किसी को जाने एवं परिस्थितियों को समझे। किसी के चरित्र पर उंगली उठा देना। हमारे समाज की एक बहुत बड़ी गलती है। जो युगों-युगों से होता चला आ रहा है। जिसे बदलने की बहुत ज्यादा जरूरत है। यदि किसी औरत का तलाक हो गया है। तो उसका अर्थ यह नहीं है कि उसके पति ने उसके कू कर्मों के कारण उसे छोड़ दिया है। ऐसा भी तो हो सकता है ना कि उस औरत ने अपने पति को उसके कु-कर्मों के कारण छोड़ा हो।
तलाकशुदा महिला पर आरोप लगाए जाते हैं
तलाक लेने के पीछे एक नहीं बहुत सारे कारण हो सकते हैं। बिना वजह जाने किसी को भी कुछ भी कहना सही नहीं है। तलाक के बहुत सारे केस में ऐसा होता है कि एक औरत मां नहीं बन पाती है। जिसके वजह से उसका पति उसे तलाक देता है। सिर्फ इसलिए क्योंकि उसे लगता है कि उसके मां ना बनने के पीछे वह औरत ही जिम्मेदार है। जबकि बाद में पता चलता है कि औरत नहीं वह पुरुष ही जिम्मेदार होता है। जिसके वजह से औरत मां नहीं बन पाती है। जब तक सच सामने नहीं आता। तब तक यह पूरा समाज तलाकशुदा औरतों को बाज कहकर पुकारता है। इसके अतिरिक्त उसे भिन्न-भिन्न तरीके से मानसिक रूप से ढेर सारी परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है।
कई बार मां-बाप तलाकशुदा महिला को स्वीकार नहीं करते
जब एक औरत का तलाक हो जाता है। तब उसका कानूनी रूप से अपने पति से सारा रिश्ता टूट जाता है। रिश्ते टूट जाने के कारण एक औरत को उसके ससुराल में रहने का हक तो होता है। लेकिन 98% तलाक के बाद अपने पति के घर में नहीं। बल्कि अपने मायके के घर में जाकर रहते हैं। ऐसी परिस्थिति में उन्हें लगता है कि उनके मां-बाप ही उन्हें संभाल सकते हैं। लेकिन कुछ एक औरतों के साथ उनके माता-पिता भी खड़े नहीं होते हैं। वह भी उन्हें दोष देते हैं एवं उन्हें घर से दूर चले जाने के लिए कहते हैं।
तलकशुदा महिला और समाज का नजरिया
जब एक औरत का तलाक हो जाता है। तब उसका कानूनी रूप से अपने पति से सारा रिश्ता टूट जाता है। रिश्ते टूट जाने के कारण एक औरत को उसके ससुराल में रहने का हक तो होता है। लेकिन 98% तलाक के बाद अपने पति के घर में नहीं। बल्कि अपने मायके के घर में जाकर रहते हैं। ऐसी परिस्थिति में उन्हें लगता है कि उनके मां-बाप ही उन्हें संभाल सकते हैं। लेकिन कुछ एक औरतों के साथ उनके माता-पिता भी खड़े नहीं होते हैं। वह भी उन्हें दोष देते हैं एवं उन्हें घर से दूर चले जाने के लिए कहते हैं।