निजी सीक्रेटस्पेशल

Donate करना चाहती हु । जायदाद को वारिस नहीं है।

मै 60 साल की महिला हु। इस दुनिया में मेरा अपना कोई भी नहीं है।जायदाद Donate करना चाहती हु

शादी को लेकर बहुत सपने मैंने देखे थे। जैसा फिल्मों में होता है, वैसा जीवन नहीं होता।

इसका अनुभव मुझे बहुत जल्द ही आया। जब मै गर्भवती थी, तो मायके आई थी।

उस जमाने में संपर्क का कोई माध्यम भी नहीं था। मुझे लगा की बच्चे को देखकर वो बहुत खुश होंगे।

मगर मै जैसे ही बच्चे को लेकर वापस गई और पैर के नीचे से जमीन खिसक गई। घर में मेरी

जगह दूसरी औरत ने ली थी। तब मुझे पता चला की मेरे पति ने दूसरी शादी की है।

मेरे पापा को अपमानित किया गया। और मारपीट भी की। मै समझ गई की अब के बाद

मुझे उस घर में कोई स्थान नहीं है। रोते हुये मायके या गई।

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वक्त गुजरता गया, मेरी सौतन ने अचानक आत्महत्या कर ली। पति शराबी बन गए।

एक जमाने में जमींदार का ठाठ दिखानेवाले लोग सड़क पर आ गए। शराब और जुए के कारण

200 एकड़ जमीन बेच डाली। सिर्फ 63 एकड़ जमीन बची है। वक्त के साथ साथ घर में कोई

बचा ही नहीं।

एक दिन हमें एक वकील मिले जिन्होंने कहाँ की जायदाद का वारिस तुम्हारा बेटा है। और आज से

अपनी जायदाद संभालो। मेरा बेटा तब तक 25 साल का हो चुका था। उसने फैसला किया की

वही पर जाकर खेती संभालता हु। दो तीन साल अच्छे से बित गए। अचानक मेरे बेटे की बिजली का

करंट लगने के कारण मौत हो गई। इस तरह खानदान में कोई नहीं बचा। Property Donate करना चाहती हु

Donate किसको करू ?

जहां मेरा बेटा खोया वह जमीन मुझे नहीं चाहिये। मै जमीन और घर बेचकर सारे पैसे

दान Donate करना चाहती हु। कृपया मुझे सही मार्गदर्शन करें

कहाँ दान Donate करना अच्छा है ? दान Donate पुण्य कार्य में सत्कारण खर्ची कैसे हो सकता है ?

मेरे दान Donation का दुरुपयोग ना हो ये में कैसे सुनिश्चित कर सकती हु ?

हमारा जवाब

आपकी जीवनी बड़ी दर्द और दुखभरी है। हालांकि अपने हाथ में कुछ नहीं होता। होनी को कौन टाल सकता है।

आप अगर संपत्ति Donate करना चाहती है, तो ऐसी बहुत सारी स्वयंसेवी संस्थाये है , अनाथ आश्रम है,

वृद्धाश्रम है, उनको जमीन दान कर सकती है। 65 एकड़ जमीन पर आप गोशाला भी शुरू कर सकती है।

अगर आपको लगता है, की आपका बुढ़ापा आनंदमय गुजरे तो आप स्वयं ही वहाँ वृद्धाश्रम या अनाथआश्रम खोले।

स्वयं पीड़ितों की सेवा करें , इसमें बहुत आनंद मिलेगा। अपने आसपास के आश्रम से मिले और उनको

अपने मन की बात बताए। उनके पुण्यकर्म को आप बहुत आगे बढ़ा सकती हो।

विनम्र निवेदन

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