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पोंगल महिलाओं में इतना लोकप्रिय क्यों है?

भारत देश एक त्योहारों वाला देश है। जहां हर त्योहार उत्साह के साथ मनाया जाता है। कारण यह त्योहार भारतीय संस्कृति का भी प्रतिनिधित्व करता है। भारत देश के सभी प्रमुख त्योहारों में से पोंगल भी एक है। इन दिनों खासकर महिलाओं में बहुत उत्साह दिखता है।

पोंगल के संबंध में कहा जाता है कि यह एक फसल का त्योहार है। जो सूर्य देव को समर्पित है। जिस तरह से मकर संक्रांति मनाया जाता है। पोंगल भी उसी तरीके का एक त्यौहार है, लेकिन थोड़ा अलग भी है।

पोंगल शब्द का पूरा अर्थ क्या है?

‘पोंगल’ शब्द तमिल साहित्य से लिया गया है। जिसका अर्थ है ‘उबालना’। यह दक्षिण भारत का एक प्राचीन त्योहार है, खासकर तमिलों का। यह मूल रूप से एक फसल उत्सव है जो तमिलनाडु में जनवरी-फरवरी के महीने में मनाया जाता है। कहा जाता है कि पोंगल वाले दिन तमिलनाडु में चावल, गन्ना, हल्दी, आदि जैसी फसलों की कटाई के बाद चार दिनों तक यह त्योहार मनाया जाता है।

भोगी पोंगल क्या है?

पोंगल को मुख्य रूप से 4 दिनों तक मनाया जाता है। प्रथम दिन जिस पोंगल को मनाया जाता है। उसे ही भोगी पोंगल के नाम से जाना जाता है। भोगी पोंगल को मुख्य रूप से भगवान इंद्र के लिए मनाया जाता है। कारण इंद्र देवता के कारण ही किसानों का कृषि कार्य अच्छे से होता है। इसलिए इंद्रदेव को प्रथम दिन समर्पित किया जाता है।

थाई पोंगल क्या है?

पोंगल के दूसरे दिन को थाई पोंगल के नाम से जाना जाता है। दूसरे दिन को भगवान सूर्य देव को समर्पित किया जाता है। इस दिन सूर्य की रोशनी के नीचे एक विशेष खीर पकाई जाती है। जो कि धान के चावल से बनती हैं। साथ ही चावल में गुण एवं मूंग दाल का प्रयोग किया जाता है।

चावल की खीर बन जाने के बाद उस खीर को सूर्य देव को भोग लगाया जाता है। फिर गन्ना अर्पित कर सूर्य भगवान की पूजा कर सभी लोग उस खीर प्रसाद को ग्रहण करते हैं।

मट्टू पोंगल क्या है?

पोंगल के तीसरे दिन को मट्टू पोंगल के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने बैल को अभिशाप दिया था और कहा था कि तू पृथ्वी लोक में मनुष्य को फसल उगाने में मदद करेगा। तब से लेकर अब तक किसी क्षेत्र में किसानों को मदद करने में बैलों की अहम भूमिका रहती है।

इसलिए पोंगल के तीसरे दिन बैलों को किसान नहलाते हैं। उन्हें अच्छे से सजाते हैं और फिर उनकी पूजा करते हैं।

केनु पोंगल किसे कहते हैं?

मट्टू पोंगल को ही केनू पोंगल कहा जाता है। लेकिन 

इस त्योहार में भाई बहन एक त्यौहार मनाते हैं। जो बिल्कुल रक्षाबंधन जैसा  होता है। इसमें भाई बहन दोनों एक दूसरे को तोहफे देते हैं।

कन्या पोंगल किसे कहते हैं?

पोंगल के आखिरी दिन को कन्या पोंगल के नाम से जाना जाता है। आखिरी दिन तमिलनाडु के सभी घर में नारियल के पत्तों का तोरण घर के मेन दरवाजे पर लगाया जाता है। साथ ही रात में सभी लोग एक दूसरे के घर में मिठाई लेकर जाते हैं एवं एक साथ बैठकर रात का भोजन ग्रहण करते हैं।

जलीकट्टू क्या है

पोंगल के आखिरी दिन ही बैलों की लड़ाई भी करवाई जाती है। जिसे जलीकट्टू के नाम से जाना जाता है।

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