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विधवा महिला को देवर से शादी करनी चाहिए या नहीं?

शादी में लड़का या लड़की ही नहीं बल्कि दो परिवार भी एक दूसरे के साथ मिलते हैं। परंतु आज के समय में रिश्तो की परिभाषा पूरी तरह से ही बदल रही है। इसी प्रकार से आज के समाज में देवर और भाभी का रिश्ता भी बदलता जा रहा है।

जिस समाज में आप रहते हैं क्या वो ऐसे विवाह को मान्यता देता है? वैसे तो कुछ समाजों मे “चादर डालने” की परंपरा भी रही है जिसमे देवर की शादी विधवा भाभी से जबरन करा दी जाती थी। इस प्रथा को हिन्दी फिल्म “एक चादर मैली सी” मे दिखाया गया है। लेकिन वो एक गलत परंपरा है किसी भी विवाह मे दोनों पक्षों की सहमति बहुत जरूरी है। जहाँ समाज मे ऐसे विवाह को मान्यता नहीं है वहाँ भी दोनों पक्षों की सहमति से विवाह तो किया ही जा सकता है लेकिन ये सोचना जरूरी है कि फिर आप उस समाज का सामना करने मे सक्षम हैं या नहीं।

क्या विधवा भाभी देवर से शादी के लिए तैयार है? सबसे महत्वपूर्ण उस महिला की राय है क्योंकि उसने अपना जीवनसाथी खोया है और उसकी मानसिक स्थिति वो स्वयं ही जानती है। इसलिए सबसे पहले उसका मत समझन बहुत जरूरी है। फिर देवर से भी सलाह ली जानी जरूरी है कि क्या वो एक विधवा से शादी करना चाहता है जो उम्र मे उससे बड़ी भी हो सकती है और जिसे वो अब तक एक सम्मान की नज़र से देखता था।

जिम्मेदारी को समझे

आजकल लोग शादी करने के लिए जात पात की बजाए रिश्तो की मान मर्यादा को भी भूल रहे हैं। ऐसे में देवर और भाभी की शादी भी दुनिया के सामने गलत है।

लेकिन कई बार इंसान के सामने कुछ परिस्थितियां ऐसी उत्पन्न हो जाती हैं। जहां हमें परिस्थिति के हिसाब से समझौता करना पड़ता है फिर चाहे वह गलत हो या सही।

हमारे हिसाब से जहां फैसला परिस्थितियों के आधार पर लेना पड़े। वहां मान मर्यादा या रीति रिवाज के साथ भी समझौता किया जा सकता है।

ऐसी ही एक मर्यादा है, देवर और भाभी के रिश्ते की। वैसे तो देवर और भाभी का रिश्ता मां-बेटे का माना जाता है। रिश्ते की पवित्रता में देवर अपनी भाभी को माँ ही समझता है।

लेकिन विधवा भाभी के लिए अपनी जिम्मेदारी को पूरा करना भी देवर के लिए जरूरी है। अगर किसी भी परिवार में बड़े बेटे की मृत्यु हो जाती है जिसकी शादी भी हो चुकी थी।

विधवा भाभी और देवर की रजामंदी है जरूरी

शादी जबरदस्ती करना बिल्कुल गलत है। फिर चाहे वह शादी देवर के साथ हो या भाभी के।

यदि सभी लोग दोनों की शादी में अपनी रजामंदी देते हैं। तो शायद इसे गलत ना माना जाए।

अपने भाई के मर जाने के बाद उसकी पत्नी को अगर ठोकरें खानी पड़ी, तो यह सही नहीं होगा। अगर उसके छोटे बच्चे है तो और भी मुश्किलें बढ़ जाती है। इसलिए अगर देवर और भाभी के इस रिश्ते के लिए सभी लोग सहमत है।

लेकिन कई जगह पर देवर के साथ जबरदस्ती शादी कर दी जाती है। इस गलत रस्म के खिलाफ विरोध करना भी जरूरी है। जबरदस्ती किसी पर अपना हुक्म चलाना कानूनी रूप से भी जुर्म है।

कई लोग पहले से विवाहित देवर के साथ बहू की शादी कर देते हैं जो कि बिल्कुल गलत है। इसमें एक साथ कई जिंदगियां बर्बाद हो जाती है, ऐसे मैं घर बसने की वजह उजड़ने लगते हैं।

विधवा बहु की मर्जी से करवाएं उसकी दूसरी शादी

यदि विधवा भाभी अपने देवर के साथ शादी नहीं करना चाहती तो उसे जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए। ऐसी स्थिति में ससुराल वालों को बहू की किसी दूसरी जगह पर शादी कर देनी चाहिए।

कई लोग बहु की दूसरी शादी को अपने परिवार के बीच भी से जोड़कर देखते हैं। लेकिन जबरदस्ती किसी की जिंदगी बर्बाद करना भी किसी बेइज्जती से कम नहीं है।

माना कि आपके बेटे के चले जाने से आप बहुत दुखी है, परिवार के बाकी सदस्य भी दुखी है। पर समझने वाली बात यह है की आपकी बहू सबसे ज्यादा दुखी है। और इस व्यक्त सबसे बड़े सहारे की किसीको जरूरत है तो वो आपके बहु को। इसलिए सभी की मर्जी के आधार पर आप भविष्य संबंधित सही फैसले कर सकते हैं।

निष्कर्ष 

हिन्दू समाज में विवाह के समय लड़का और लड़की का गोत्र देखा जाता है । भाभी और देवर के गोत्र आपस में मेल नही खाते है। इसीलिए यह संभव है । बहुत बार ऐसा देखने को भी मिलता है। बस विवाह के लिए देवर और भाभी एक दूसरे से विवाह के लिए सहमत होने चाहिए।

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