जायदाद को वारिस नहीं । माँ घरजमाई तलाश कर रही है
मै मेरे माँ बाप की इकलौती संतान हु। ना मुझे कोई भाई है, और ना ही बहन।
बचपन से मै अकेली ही पली बड़ी हुई। स्कूल में किसी से झगड़ा होता था , तब उसका भाई
उसका बचाव करने को या जाता था। उस वक्त भाई न होने का बहुत दुख होता था। मेरा भी कोई
भाई होता तो मेरे लिये दूसरों से लड़ता। इससे भी बदतर हालत रक्षाबंधन के दिन होती थी।
सबके भाई अपनी बहन से प्यार का धागा बांधते थे। मुझे भाई न होने का गम बचपन से रहा।
इस साल तो मेरे पापा ही गुजर गए। शहर छोड़ना पडा। हम गाव चले आए। अब मेरी माँ मेरे लिये
घरजमाई लड़का तलाश कर रही है। ताकि वह हमारी जायदाद संभाले और मै भी उनसे दूर ना जाऊ।
मगर मै चाहती हु की , घरजमाई देखने के बजाय वह मेरा भाई तलाश करें। मेरे भाई की कमी भी
पूरी हो जाएगी। मगर माँ नहीं मान रही है। उसको जमाई का ऑप्शन ज्यादा सुरक्षित लगता है,
कृपया आप सलाह दें। मै सही हु ? या मेरी माँ सही है ? मुझे क्या करना चाहिये ?
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हमारी सलाह : जायदाद को वारिस नहीं
आपकी भावना हम समझ सकते है। मगर आप माँ की भी भावनाओ को समझ लीजिए।
आपकी जायदाद संभालने के लिये जमाई ही अच्छा पर्याय है। बच्चा गोद लेने की अब उनकी उम्र नहीं है।
पहले ही तुम जब छोटी थी, तब अगर एक लड़के को वो गोद लेते तो तुम्हारा भाई के साथ हसी मजाक
का सपना भी पूरा हो सकता था। वह बचपन से ही तुम्हें अपनी बहन और उनको माँ बाप मानता ।
तुम्हारे परिवार के सुख दुख से वह भावनात्मक दृष्टिकोण से जुड़ जाता। और जायदाद को वारिस भी मिल जाता।
मगर अब छोटा बच्चा गोद नहीं ले सकते, क्योंकि उसपर जायदाद की जिम्मेवारी देनी है। और ऐसा भी
हो सकता है, की जायदाद के लालच में गलत लड़के का चुनाव हो जाये। और ऐसे किसी गैर आदमी के साथ
आपकी तुम और माँ रह नहीं पाएगी। और फिर उसकी शादी भी किसी लड़की से हो जाएगी। उसके बीवी बच्चों को
तुम्हारे घर से लगाव नहीं होगा।
मगर घरजमाई देखा तो इस परिवार का वह जमाई होगा। हर मर्द के लिये उसकी बीवी और बच्चे सबसे महत्वपूर्ण
होते है। और तुम्हारे बच्चों को भी दादी से लगाव रहेगा।
आप भी इस बारे में सोचे। और एक घरजमाई देखकर शादी करें। अगर आपको घरजमाई तलाश करने
के लिये दिक्कत है तो वेबसाइट पर अपना परिचय पत्र मुफ़्त में दर्ज करें। शादी तय होने के बाद भी पैसे नहीं
देने पड़ेंगे।