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अकेली हु। पति मेरे बूढ़े मां-बाप को संभालता नहीं। क्या मै तलाक लू?

मेरा नाम रजनी है। मुझे एक बेटा और 2 बेटियाँ है। हम दोनों नौकरी करते है। क्या मै तलाक लू?

वैसे मेरे पति मुझसे बहुत प्यार करते है। मेरा अच्छा खयाल रखते है। अपने माँ बाप की इकलौती संतान हु।

मेरे पापा को 2 बार हार्ट अटैक आ चुका है। माँ से उनकी देखभाल ठीक से नहीं होती। बेचारी को

जितना संभव है, हर तरह से कोशिश करती है। आमदनी का पेंशन के अलावा कोई भी साधन नहीं।

कभी मै उनको पैसे देती हु, तो मेरे पति को अच्छा नहीं लगता। मेरे घरवालों के बारे में उनको बिलकुल

लगाव नहीं है। बस अपने ही माँ बाप को कोई कमी नहीं पड़ने देते।

कभी मेरे माँ बाप मेरे ससुराल आते है, तो भी उनके साथ नॉर्मल बातचीत नहीं करते। इस बात से मै बहुत

दुःखी हु। अब तक सब ठीक था। मगर अब वो बूढ़े हो चुके है। उनका खयाल रखने के लिये कोई नहीं है।

उनकी इकलौती संतान तो मै ही हु। उनकी देखभाल मेरी जिम्मेवारी होनी चाहिये। मगर मेरे पति उनकी कोई

जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। मुझे भी उनका खयाल रखने नहीं दे रहे है। मुझे समझ में ही नहीं

आता की क्या करू ? कभी कभी तलाक लेने का खयाल आता है, मगर बच्चों की तरफ देखकर चुप रहती हु।

अपने बूढ़े माँ बाप को संभालने के लिये क्या मै तलाक लू?

इनको सलाह की जरूरत है गरीब विधवा महिला हु। बैंकवाले लोन चुकाने का दबाव बना रहे है। – My Jivansathi



हमारी सलाह : क्या मै तलाक लू?


आपके पति आपके माता-पिता को संभालने से मना कर रहे हैं यह सुनकर बहुत ही आश्चर्य लगा।

ऐसी परिस्थिति में आप को आपके पति से एक सवाल पूछना होगा।वह सवाल यह है की उन से पूछिए

कि यदि मेरे माता-पिता के स्थान पर तुम्हारे माता-पिता होते तो भी क्या तुम यही बात कहते? प्रश्न को

पूछने के बाद आपके पति आपसे क्या कहते हैं? आप वह बात सुनिएगा।

यदि आपके पति आपके प्रश्न को सुनकर गुस्सा होकर कहते हैं कि मेरे माता-पिता मेरी जिम्मेदारी है

तुम्हारे माता-पिता मेरी जिम्मेदारी नहीं तो आप उनके उस उत्तर पर उन्हें जवाब दीजिएगा।जिस तरह

से तुम्हारे माता-पिता तुम्हारी जिम्मेदारी है। उसी तरह से मेरे माता-पिता भी मेरी जिम्मेदारी है और मैं

उनका ख्याल रखूंगी भले ही मुझे तुम्हें छोड़ देना पड़े। लेकिन मैं अपने माता-पिता का साथ उनका ख्याल

रखना बिल्कुल भी नहीं छोडूंगी।

जन्म लेने के बाद एक माता-पिता ही होते हैं जो अपने बच्चे का सबसे ज्यादा ध्यान रखते हैं और जब

बच्चे बड़े हो जाते हैं। उस वक्त बच्चों का यह कर्तव्य होता है कि,वह अपने माता-पिता का ख्याल रखें।

लेकिन यदि शादी हो जाने के बाद किसी बेटी का पति उसे रोके उसके माता-पिता के पास जाने से या

उनके माता-पिता का ख्याल रखने से तो वह इंसान कहलाने के लायक नहीं है।

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अधिकार और कर्तव्य

एक बेटी होने के नाते आपको अपना कर्तव्य जरूर निभाना चाहिए। लेकिन अगर आपके पति उसमें

दखल दे रहे हैं। तो आपको उन्हें पहले समझाना होगा। और यदि वह ना समझे तो आपको समझ जाना

चाहिए की आप जिसके साथ पूरी जिंदगी रहना चाहती हैं।वह इंसान एक अच्छा इंसान नहीं है। वह

एक स्वार्थी इंसान है जो सिर्फ अपने बारे में सोचता है। उसे औरों की कोई चिंता नहीं है।

माता-पिता की इज्जत तो सभी को करनी चाहिए और जब माता-पिता को अपने बच्चे की जरूरत हो तो

बच्चे को भी अपने माता पिता के साथ खड़े होना चाहिए।शादी के बाद पति-पत्नी जीवनसाथी होते हैं।

जो हर सुख दुख में एक दूसरे का साथ देते है।आपके पति आपके इस मुश्किल घड़ी में आपके साथ

नहीं खड़े हो रहे हैं।तो इसमें आपका नहीं आपके पति का दोष है। मेरी सलाह से आपको ऐसे पति का

साथ छोड़ देना चाहिए,जो आपके मुश्किल वक्त में आपके साथ खड़ा नहीं होता है और आपको अपने

उस माता-पिता का ध्यान रखना चाहिए जिनके कारण आप इस दुनिया में आई हैं। जिनके कारण आपने

इस सुंदर दुनिया को देखा है। जिनके कारण आज आप इतनी बड़ी हो पाई है।

पति से पूछे ये सवाल

आप अपने पति से एक सवाल और पूछिए कि,क्या वह भी चाहते हैं कि उनके बच्चे बड़े होने के बाद

उनका ध्यान ना रखे। उन्हें भूल जाए।यदि वह ऐसा ही चाहते हैं तो ऐसा ही होगा क्योंकि हम जैसा कर्म

करते हैं हमें फल भी वैसा ही मिलता है।यदि आप आज अपने पति की बात सुनकर अपने माता-पिता

का ख्याल नहीं रखेंगी तो,कल आपके बच्चे भी बड़े होकर आपका ध्यान नहीं रखेंगे। हम बड़े अपने बच्चों

का मार्गदर्शक बनते हैं। हमारे बच्चे अपने माता-पिता का अनुकरण करते हुए बड़े होते हैं।अगर माता-पिता

कुछ गलत करेंगे तो बच्चा भी कुछ गलत करेगा और यदि हम अच्छा कर्म करेंगे तो हमारे बच्चे भी हमें

देखकर अच्छा ही करने की कोशिश करेंगे।

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