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द्वितीय दिन नवरात्रि – मां ब्रह्मचारिणी पूजा विधि
हिंदू धर्म में नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती हैं। तप का आचरण करने वाली देवी
के रूप में माता ब्रह्मचारिणी को जाना जाता है। देवी के दाहिने हाथ में माला और बायें हाथ में हमेशा
कमंडल रहता है। उनके स्वरूप में हमेशा उनको नंगे पैर के रूप में दर्शाया जाता है। आज हम अपने
ब्लॉग में नवरात्रि के दूसरे दिन के विषय में विस्तार से चर्चा करेंगे।
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माता ब्रह्मचारिणी कौन है?
ब्रह्मचारिणी की कहानी
देवी पार्वती का जन्म सती के रूप में दक्ष प्रजापति के घर हुआ था। उनके अविवाहित रूप को देवी
ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजा जाता है। उन्हें सबसे कठिन तपस्या करने वाली महिला के रूप में जाना जाता है,
क्योंकि उन्होंने शिव जी को अपने पति के रूप में चाहा था। इसलिए उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा।
कहा जाता है कि माता ब्रह्मचारिणी ने अपने तप के दौरान 1000 वर्ष तक लगातार फल, मूल खाया था।
यहां तक कि देवी खुले आकाश के नीचे तप करती थी और तप के दौरान उन्होंने सूर्य देव के ताप
को एवं वर्षा के जल को भी सहन किया था।
शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए 3000 वर्षों तक माता ब्रह्मचारिणी ने तप किया था
और 3000 वर्षों तक वह बेलपत्र खाकर रहती थी क्योंकि बेलपत्र भगवान शिव का प्रिय था।
धीरे-धीरे तप करते-करते माता ब्रह्मचारिणी ने फल, मूल, पत्ता इत्यादि भी खाना छोड़ दिया था।
माता के कठोर तप को देखकर संपूर्ण ब्रह्मांड काफी चिंता में पड़ गया
और सभी देशों में हाहाकार मच गया था।
ब्रह्मदेव ने माता ब्रह्मचारिणी से कहा कि हे देवी तुम्हारे जैसा तप आज तक किसी ने नहीं किया।
तुम्हें भगवान शिव अवश्य ही पति के रूप में प्राप्त होंगे। अब तुम तप करना छोड़ो और अपने घर
वापस लौट जाओ। तुम्हारे पिता अब तुम्हें लेने वापस आ रहे हैं।
पूजा के दौरान देवी को आप अड़हुल और कमल के फूलों का माला अर्पित कर सकते है।
माता की पूजा करने वाले भक्त जनों को ऐश्वर्या की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि द्वितीय दिन पूजा विधि
नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा करने हेतु आपको सुबह-सुबह उठ जाना है और
स्नान इत्यादि समाप्त कर पूजा घर में प्रवेश करना है।
माता की पूजा हमेशा ऊन की आसन में बैठकर करें क्योंकि माता तप की देवी के रूप में जानी
जाती है और तप हमेशा आसन में बैठकर ही किया जाता है। इसलिए माता के समक्ष आसन में
बैठ कर पूजा करने से माता भी प्रसन्न होती है।
मां ब्रह्मचारिणी जी को पूजा में फूल अवश्य दे साथ ही अक्षत,रोली एवं चंदन से टीका भी लगाएं।
मां ब्रह्मचारिणी को दूध, दही, मक्खन, शहद से स्नान कराएं। फिर पिस्ते से बनी मिठाई का भोग लगाएं।
इसके बाद पान, सुपारी, लौंग का भोग लगाएं।
ऐसा कहा जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने वाले भक्त जीवन में हमेशा शांत और खुश रहते हैं।
उन्हें किसी भी प्रकार का भय नहीं सताता है।
पूजन मंत्र
“या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।”
यह मंत्र माता ब्रह्मचारिणी का आराध्य मंत्र है।
द्वितीय दिन नवरात्रि – मां ब्रह्मचारिणी पूजा विधि
इनकी पूजा से सौभाग्य की प्राप्ति होती है और हमारे जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करें और अपनी प्रगति में आने वाली बाधाओं को दूर करें।