सिंगल मदर को करना पड़ता है इन परेशानियों का सामना
सिंगल मदर को करना पड़ता है इन परेशानियों का सामना
ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत समय होता है,जब एक पति-पत्नी,माता-पिता बनते हैं।परंतु कई बार
न चाहते हुए भी ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है की एक माँ को बाप का कर्तव्य भी निभाना पड़ता है।
फिर चाहे वह स्थिति भगवान द्वारा असमय ही पति को अपने पास बुलाकर उत्पन्न की गई हो या किसी
इंसानद्वारा अत्याचार करके। लेकिन दोनों ही स्थितियों में मुश्किलों का पहाड़ एक औरत पर ही गिरता है
क्योंकि हमारे समाज में आज भी एकल मदर को एक अलग नजरिए से देखा जाता है,तो आइए एक
सिंगल मदर को किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है उसी के बारे में बात करते हैं।
मानसिक दबाव-
सिंगल मदर के कंधों पर माँ और बाप दोनों की ज़िम्मेदारी होती है,इसलिए इस जिम्मेदारी
को निभाने के लिए न केवल उस पर मानसिक प्रेशर होता है बल्कि उसे अपनी ख़ुशी और एहसासों का बलिदान
भी देना पड़ता है।
आर्थिक समस्या-
एक सिंगल मदर को अपने बच्चे की परवरिश और उसके भविष्य लिए सुपर मदर भी
बनना होता है।इसके लिए घर से बाहर जाकर कमाई करने और घर पर बच्चे की परवरिश करने के बीच में
सामंजस्य बिठाना भी एक मुश्किल भरा काम है।
बच्चे की देखभाल-
यदि आप अपने किसी पारिवारिक मेंबर के साथ रहती है तो आपको अपने बच्चे की
देखभाल के बारे में ज़्यादा चिंता करने की आवश्यकता नहीं पड़ती।लेकिन यदि आप अलग रहती है
तो आपको अपनी संतान का ध्यान रखने लिए एक बेबी सिटर रखना चाहिए।
सामाजिक दबाव-
एक सिंगल माँ अपने सभी कर्तव्यों को बखूबी पूरा करने की पूरी कोशिश करती है
लेकिन फिर भी समाज द्वारा उसे घृणित अथवा प्रताड़ित नज़रों से देखा जाता है।समाज की ओर से ऐसी
बहुत सी बातें सिंगल मदर को कही जाती है जो उनके आत्मविश्वास को ठेस पहुँचती है।
एक सिंगल मदर पर समाज तथा उसके परिवार की तरफ़ से दोबारा शादी करने का दबाव भी बनाया
जाता है लेकिन हम सभी को उनके फैसले का सम्मान करना और उनका साथ देना चाहिए। क्योंकि यह
बात बिलकुल भी आवश्यक नहीं है कि दोबारा शादी करने के बाद भी खुश रह पाएगी या फिर उनके बच्चे
भविष्य कैसा होगा। लोगों द्वारा यह जानने पर कि वह एक सिंगल मदर है, उस पर दया भावना या दुख
प्रकट करने की बजाय उसकी सराहना करते हैं तो वह अपनी ज़िंदगी को ज़्यादा ख़ुशी और साहस के
साथ जीत सकती है। इन सभी समस्याओं के बीच अक्सर एक सिंगल मदर की टेंशन बढ़ जाती है।
लेकिन आपको घबराने की बजाय हिम्मत से डटकर उनका सामना करना है क्योंकि अगर एक माँ आगे
बढ़ने का हौसला कर लेती है तो फिर कोई भी बाधा उसे रोक नहीं सकती है।