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पति-पत्नी और उसकी कहानी

शक करने का नुकसान

जब भी रोहित किसी लड़की से फोन पर बात करता तो नीता बदले की भावना से खुद भी किसी से प्यार से बात करती थी। पति-पत्नी और उसकी कहानी । शादी के बाद जब पति-पत्नी एक होते हैं।  तब वह एक नया जीवन जीते हैं।  जिसमें प्यार भी होता है  और तकरार भी। आज जो कहानी हम आपको सुनाने जा रहे हैं।  यह भी पति-पत्नी के खट्टे मीठे रिश्ते एवं झगड़ो से जुड़ा हुआ है। नीता एवं उसका पति रोहित दोनों ने भाग कर शादी किया था। शादी का पहला 2 साल इनका बहुत अच्छे से बीता जैसे-जैसे इनके रिश्ते पुराने होते गए।  इनके बीच में कड़वाहट जैसे बढ़ती ही चली गई। 

दोनों ने एक दूसरे से बात करना भी  बंद ही कर दिया था और बात भी करते थे।  तो हमेशा बुरा ही। दोनों ही आईटी  से थे।  तो दोनों बहुत ज्यादा ही काम में व्यस्त रहते थे। एक दूसरे को ज्यादा वक़्त नहीं दे पाते थे।  ऐसे ही औरतें  शक मिजाज की होती हैं।  जब भी रोहित लड़की से फोन पर बात करता तो नीता  को ऐसा ही लगता है कि उसके पति का चक्कर किसी के साथ चल रहा है। नीता एवं रोहित के बीच में झगड़े होते रहते थे। 

पति-पत्नी और उसकी कहानी

रोहित सच में अपनी पत्नी नीता से बहुत प्यार करता था।  इसलिए वह नीता से बेवजह झगड़ा ना करके अपने काम से ही मतलब रखता था।  ऐसे ही दिन कटता रहता था। परन्तु रोहित के इग्नोरेंस ने नीता के शक को और स्ट्रांग कर दिया।  एक दिन दोनों अपने किसी कॉमन फ्रेंड्स के घर में पार्टी में गए थे। वही कुछ ऐसी घटना घटी जिसके बाद दोनों के जीवन में एक नया मोड़ आया। 

पार्टी में सब कुछ नार्मल चल रहा था। अचानक नीता रोहित के पास आकर उसको खींचकर चाटा मार देती हैं। बस पार्टी में मौजूद सभी लोग अचंभित हो गए थे। रोहित ने जब थप्पड़ मारने का कारण पूछा।  तब नीता ने जवाब दिया की वह पार्टी में उसको नहीं लड़कियों को देख रहा था। इस बार रोहित भी अपने गुस्से को काबू में रख नहीं पाया और नीता से उसने जमके झगड़ा किया। बात इतनी बड़ गयी की तलाक़ तक पहुँच गयी। 

तलाक की बात

बस फिर  क्या था नीता ने जब तलाक की बात सुनी तो टूट पढ़ी और बोलने लगी की मैंने तुमको चुना था। अपने परिवार से लड़ गयी और तुम मुझे तलाक देने की बात कर रहे। तब रोहित ने कहा जैसे तुमने अपने परिवार को छोड़ा तब मैंने भी छोड़ा। जैसे तुम अपने परिवार को याद करती हो। वैसे मैं भी याद करता हूँ। लेकिन मैं तुम्हारी तरह तुम पर कोई शक नहीं करता। जिस तरह मेरे ऑफिस में महिला वर्कर हैं।  वैसे तुम्हारे ऑफिस में भी पुरुष कर्मी है। जिनसे तुम भी बात करती हो। लेकिन मैंने कभी भी तुम पर संदेह नहीं किया क्यूंकि मुझे तुम पर भरोसा है। 

मगर तुम मुझ पर वह भरोसा नहीं कर पा रही हो। इसलिए अब हमारा अलग हो जाना ज़रूरी हैं। तुम खुश रहोगी और मैं भी। सफ़ाई में नीता शांत थी। फिर नीता के मित्रो ने समझाया की नीता तुमने सच में रोहित को गलत समझ लिया हैं। दुनिया में कोई साथ नहीं देगा सिवाय जीवनसाथी के। इसलिए भरोसा रखो। हर रिश्ते में भरोसा ही अहम भूमिका निभाता है। 

कहानी में नया मोड़

तुम वह भरोसा ही नहीं कर पा रही। ऊपर से बिना सच जाने तुम्हारा रोहित को थप्पड़ मारना सही नहीं था। तुम लकी हो की पलटकर रोहित ने तुमको थप्पड़ नहीं मारा। तुमको इतने साल से झेला। ऐसे में तुम बताओ व्यक्ति कब तक सहेगा? तुम अगर उसकी जगह रहती तो क्या करती? फिर नीता चुप रही मगर इस बार उसकी आँखों  से पानी बह रहा था। 

उसको अपनी गलती का अहसास हुआ। फिर उसने अपने पति रोहित से माफ़ी माँगा और सभी लोगो के सामने उसपर बेवज़ह शक ना करने का कसम खाया। इस तरह से दोनों की कहानी में नया मोड़ आया।   

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