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भाई दूज के दिन बहनों का व्रत, भाइयों की लंबी उम्र की प्रार्थना,व्रत-कथा-आरती

भाई दूज के दिन बहनों का व्रत

रक्षाबंधन की तरह ही भाई दूज भी हिंदुओं का पवित्र त्यौहार है। भाई दूज पर सभी बहनें अपने भाइयों की विशेष पूजा करती हैं। इस त्योहार के दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र के लिए व्रत भी रखा करती हैं। इस व्रत को रखने से भाइयों की उम्र लंबी हो, यही कामना हर बहन की होती है। इसीलिए इस त्योहार को काफी उत्साह और धूमधाम से, भारत के लगभग हर राज्य में मनाया जाता है। आइए जानते हैं कि भाई दूज कैसे, कब और क्यों मनाया जाएगा। Bhai Dooj के दिन बहनों का व्रत और अनुष्ठान, भाइयों की लंबी उम्र की प्रार्थना, जानिए व्रत-कथा-आरती

कब मनाया जाता है, भाई दूज।

भाई दूज हिंदू महीनों के अनुसार कार्तिक महीने में मनाया जाता है। कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यह त्यौहार मनाया जाता है। दूज का अर्थ होता ही है, द्वितीय। इस तिथि पर सभी बहनें अपने भाइयों को टीका लगाती हैं, उनकी लंबी और सुखी जीवन की कामना करती है, और उन्हें  विभिन्न प्रकार के भोजन करवाती है।

भाई दूज मनाने के पीछे, वैसे तो कई कथाएं प्रचलित हैं। हम आपको दो मुख्य कथाओं के बारे बता रहे है।  

भाई दूज की कथा

एक बार की बात है, जब भगवान श्री कृष्ण जी असुर राक्षस नरकासुर का वध करके दोबारा द्वारका लौटे थे, तो भगवान श्री कृष्ण जी की बहन श्री सुभद्रा जी ने फूल और तिलक लगाकर उनका स्वागत किया और अपने भाई श्री कृष्ण की लंबी आयु के लिए पूजा की थी। तभी से भारत में हिंदू धर्म में भाई दूज मनाने की परंपरा शुरू हो गई थी। 

भाई दूज की दूसरी कहानी

इसके कथा के अलावा एक दूसरी कथा यह भी है, कि एक बार यमराज देवता अपनी बहन यमुना से मिलने के लिए, उनके ससुराल गए थे। जहां पर उनकी बहन ने उनका भव्य स्वागत किया। यमुना जी ने यमदूत जी के माथे पर तिलक किया और अलग-अलग प्रकार के व्यंजन बनाकर, अपने भाई को खिलाया। बहन की इस आवभगत से यमराज जी ने बदले में अपनी बहन से कहा, कि बहन तुम मुझसे कुछ वरदान मांग सकती हो। 

इस पर उनकी बहन यमी अर्थात् यमुना जी ने कहा कि मेरा आपसे यह अनुरोध है, कि यदि कोई भी व्यक्ति भाई दूज के दिन किसी बहन के घर जाएगा, तो उसे कभी भी अकाल मृत्यु का सामना नहीं करना पड़ेगा और आप प्रत्येक वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करेंगे। यमराज ने अपनी बहन को ऐसा ही वचन दिया और इसके बाद से ही भाई दूज मनाने की परंपरा शुरू हो गई। भाई दूज के दिन यमुना नदी में स्नान करने का भी बड़ा महत्व माना जाता है। जो भी भाई दूज के दिन यमुना नदी में स्नान करते हैं, उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है।

कैसे मनाया जाता है, भाई दूज।

भाई दूज के दिन सुबह स्नान आदि करके, दोनों भाई बहन तैयार हो जाए। हो सके तो जल में गंगा जमुना का पानी मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं। इसके बाद भाई और बहन दोनों नए वस्त्र धारण करें भाई को एक चौकी पर आसान बिछाकर बैठने को कहे। और उसके हाथों में श्रीफल अर्थात सूखा हुआ सबूत नारियल दें। इसके बाद बहन अपने भाई के मस्तक पर हल्दी और चावल अथवा कुमकुम चावल का तिलक लगाती है, और इसके बाद उसे भोजन करवाती है।

भाई की आरती

इसके बाद दूब घास की मुठ से भाई की आरती की जाती है। उसके हाथों में कलावा भी बांधा जाता है। भाइयों का फर्ज है कि वह अपनी बहन को कुछ ना कुछ भेंट दान करें। इसके अलावा बहने भाई दूज के दिन यमराज के नाम से एक दिया जला कर उसे घर के चौखट से बाहर रखती है। ऐसा करने से यह मान्यता है कि यमराज की कुदृष्टि भाई के ऊपर नहीं पड़ती है।

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