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विधवा महिला को समाज में किन मुसीबतों का सामना करना पड़ता है?

विधवा महिला को समाज में किन मुसीबतों का सामना करना पड़ता है?

हमारे समाज में विधवा उन्हें कहा जाता है। जिनका पति मर जाता है।

जब किसी पुरुष की पत्नी मर जाती है। तो उन्हें विदुर कहा जाता है।

लेकिन हमारे समाज में विदुर एवं विधवा में बहुत फर्क किया जाता है।

जबकि विदुर एवं विधवा दोनों ही एक है। आज हम अपने ब्लॉग के माध्यम से बताएंगे कि हमारे

विधवा महिला को समाज में किन मुसीबतों का सामना करना पड़ता है? विधवा और समाज का वास्तव

हर शुभ कार्य से वंचित रहती है


हमारे समाज में विधवाओं को किसी भी शुभ कार्य में आने की अनुमति नहीं दी जाती है।

कहा जाता है कि विधवा अपशकुनी होती है। यदि उनका मनहूस कदम किसी शुभ कार्य पर

पड़ जाता है। तो वह कार्य बिगड़ जाता है। इसलिए किसी भी शुभ कार्य में विधवा को आने

नहीं दिया जाता है। इतना ही नहीं विधवाओं को यह तक कहा जाता है कि तुम विधवा

अपने कर्मों के कारण बनी हो। तुम्हारे कर्म खराब है। इसलिए भगवान ने तुमसे तुम्हारा

सुहाग छीन लिया है। ऐसा कहकर विधवा को शुभ कार्य से वंचित रखा जाता है।

रंगीन वस्त्र पहनने से वर्जित किया जाता है


दुनिया में हर किसी को अपनी मर्जी से कपड़े पहनने का अधिकार है। जब किसी औरत

का पति मर जाता है। तो उसके विधवा होने के बाद उससे सभी रंग छीन लिए जाते हैं।

हमारे समाज में विधवाओं को रंगीन वस्त्र पहनने की अनुमति नहीं होती है।

सफेद वस्त्र के अतिरिक्त विधवाओं को अन्य रंग के वस्त्र पहनने की मनाही होती है।

यदि कोई विधवा रंगीन वस्त्र पहनने की इच्छा रखती हैं। तो उससे बुरा बर्ताव किया जाता है।

एक तरह से यदि किया कहां जाए तो विधवाओं के साथ बहुत ही बदसलूकी किया जाता है।

विधवा महिला को समाज में किन मुसीबतों का सामना करना पड़ता है? : खान-पान पर भी रोकटोक


हमारे महान समाज में विधवाओं के खानपान में भी रोकटोक किया जाता है। 

वह अपनी मर्जी से कुछ खा नहीं सकती है।

हमारे समाज में विधवाओं को केवल सादा भोजन खाने की अनुमति है।

प्याज लहसुन से बना हुआ खाना खाने की अनुमति विधवाओं को नहीं है।

विधवा को दूसरे विवाह की भी अनुमति नहीं होती


पति के मर जाने के बाद एक औरत अकेली पड़ जाती है।

हालांकि बहुत सारी औरतें पूरी जिंदगी अकेले रह जाती है।

लेकिन कुछ औरतें ऐसे भी होती हैं जो फिर से विवाह करने का निर्णय लेती है।

ऐसी सोच रखने वाली विधवाओं को समाज में बहुत कलंकित किया जाता है।

उनके नाम पर चरित्रहीन का टैग लगा दिया जाता है।

वही कोई पुरुष यदि अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद दूसरा विवाह करना चाहता है।

तो उसे कोई भी कुछ नहीं कहता। बल्कि उसे और प्रेरित करता है।

मीराबाई की कहानी : विधवा महिला को समाज में किन मुसीबतों का सामना करना पड़ता है?


दोस्तों मीराबाई से तो हम सभी परिचित हैं। मीराबाई बहुत कम उम्र में ही विधवा हुई थी।

उनके साथ भी बहुत घोर अन्याय किया गया था। लेकिन हर नारी का जीवन मीराबाई जैसा नहीं होता।

मीराबाई विरोध करती थी। वह कहती थी कि मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि लोग मेरे बारे

में क्या सोचते हैं। मैं तो कृष्ण की दीवानी हूं और मैं उनसे सदैव प्रेम करती रहूंगी।

मीराबाई पर इस समाज ने कम लांक्षण नहीं लगाए थे। दोस्तों हमारे समाज में विधवाओं को

आज भी कहीं ना कहीं ढेर सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

हालांकि आज वक्त बदला है। आज कुछ विधवा महिलाएं ऐसी भी हैं। जो अपनी मर्जी से कपड़े

भी पहनती हैं। प्याज लहसुन का बना हुआ खाना भी खाती है।

साथ ही शुभ कार्यों में जाती हैं क्योंकि उन्हें बुलाया जाता है। वह भी पूरे सम्मान के साथ।


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