मंगला गौरी व्रत, जानें कथा और पूजन विधि | मंगला गौरी पूजन का महत्व
मंगला गौरी व्रत :हिंदू धर्म में सावन को बहुत ही खास माना जाता है क्योंकि,यह माता पार्वती और भगवान शिव
का महीना होता है। हर जगह भोले बाबा का गुणगान होता रहता है। साथ ही माता पार्वती की भी पूजा
बहुत जगह पर सावन महीने में की जाती है।
जिस तरह सोमवार को भगवान शिव का दिन माना जाता है।ठीक वैसे ही मंगलवार का दिन माता पार्वती
का दिन माना जाता है। माता पार्वती को गौरी माता भी कहा जाता है। सावन महीने के मंगलवार के
दिन यदि कोई विवाहित स्त्री माता गौरी की पूजा करती हैं तो उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है एवं
उनके वैवाहिक जीवन में सुख एवं शांति भी आता है। सावन महीने के मंगलवार के दिन माता गौरी के
लिए की जाने वाली पूजा को मंगला गौरी कहा जाता है।
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मंगला गौरी पूजन का क्या महत्व है-
मंगलागौरी पूजन की व्रत कथा
मंगला गौरी पूजन की व्रत कथा काफी अनोखी है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि,
एक शहर में धर्मपाल नाम का व्यापारी हुआ करता था। जिसके पास सब कुछ था धन-दौलत,संपत्ति,
पत्नी। अगर कुछ नहीं था तो वह था संतान। धर्मपाल एवं उसकी पत्नी दोनों ही संतान न होने के कारण
काफी दुखी रहते थे। ईश्वर की दया दृष्टि से उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई,लेकिन उस पुत्र की आयु भी
अल्पायु थी। धर्मपाल के पुत्र की मृत्यु 16 वर्ष की उम्र में सांप काटने के कारण हो गई थी,और संयोग
से उस पुत्र का विवाह,16 वर्ष से पहले ही एक सुंदर लड़की के साथ हुआ था।
इसीलिए माता मंगला गौरी का व्रत किया जाता है।
धर्मपाल की पुत्र वधू ने माता गौरी की पूजा आराधना की,और उनकी पूजा को देखकर ही माता गौरी ने
धर्मपाल की पुत्रवधू को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद दिया। माता गोरी ने धर्मपाल के पुत्र की आयु को
100 वर्ष लंबा कर दिया। तब से लेकर अभी तक सभी सुहागन स्त्रियां, मंगला गौरी का व्रत अपने पति
के लंबी उम्र के लिए ही करती हैं। साथ ही वह अपने दांपत्य जीवन के लिए भी व्रत रखती हैं।
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