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नवरात्रि के प्रत्येक दिन का महत्व और महिमा

नवरात्रि अर्थात नौ रात्रि। हिंदू कैलेंडर के अनुसार अश्विन महीने में नवरात्रि होती है। नवरात्रि मनाने

का हर एक व्यक्ति का अलग अलग अंदाज होता है।भारत देश के हर क्षेत्र में नवरात्रि को भिन्न-भिन्न

तरीके से मनाया जाता है। लेकिन सब का उद्देश्य एक ही होता है। नवरात्रि के 9 दिनों में देवी दुर्गा

के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि का महत्व और महिमा

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नवरात्री दिन और तिथि

2021 नवरात्रि शुभ तिथि
तीथी नवरात्रि प्रारंभ 26 सितंबर 2022
नवरात्रि नवमी तिथि 05 अक्तूबर 2022
नवरात्री दशमी तिथि 06 अक्टूबर 2022
घटस्थापना तिथि 26 सितंबर 2022बर 2022
मां शैलपुत्री की पूजा नवरात्रि के पहले दिन,देवी मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा होती है।
देवी ब्रह्मचारिणी द्वितीया तिथि शुक्रवार को,देवी दुर्गा का स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी है।
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. 
मां चंद्रघंटा की पूजा तृतीया तिथि, शनिवार को देवी चंद्रघंटा की पूजा होती है.
कुष्मांडा मां की पूजाचतुर्थी तिथि, को शरद नवरात्रि के चौथे दिन कुष्मांडामाता की पूजा की जाती है.
स्कंदमाता की पूजापंचमी तिथि, रविवार को मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है.
मां कात्यायनी की पूजाषष्ठी तिथि को मां कात्यायनी की पूजा की जाती है.
मां कालरात्रि की पूजासप्तमी तिथि को देवी कालरात्रि की पूजा की जाती है.
महागौरी की पूजाअष्टमी तिथि को महागौरी की पूजा की जाती है.
मां सिद्धिदात्री की पूजानवमी तिथि, गुरुवार को मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है.
शारदीय नवरात्रि का व्रत का पारणदशमी को शारदीय नवरात्रि का पारण और मां दुर्गा को विसर्जित किया जाएगा.

नवरात्रि के प्रत्येक दिन का महत्व

महिषासुर और मां दुर्गा के लड़ाई के बारे में तो आपने जरूर सुना होगा। 9 दिनों तक महिषासुर मां

दुर्गा से लड़ता रहाअंत में उसकी हार हुई।मां दुर्गा के नौ रुपों का अपने आप में महत्व है और

नवरात्रि का हर एक दिन नौ माताओं को समर्पित किया जाता है। जिसकी जानकारी हम आपको

अपने ब्लॉग में देंगे।

Day-1

शैलपुत्री

 नवरात्रि के प्रथम दिन देवी शैलपुत्री की पूजा की जाती है। यह ब्रह्मा, विष्णु और महेश की सामूहिक

शक्ति का अवतार हैं। देवी शैलपुत्री को शिव की पत्नी के रूप में पूजा जाता था। इसलिए नवरात्रि के

पहले दिन लाल रंग पहनने की सलाह दी जाती है।साथ ही माता को गाय के घी से बना हुआ भोग

अर्पित करने से माता प्रसन्न होती हैं।

Day-2

ब्रह्मचारिणी

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। जो भी भक्त माता के इस रूप की

पूजा करते हैं उन्हें योग,तप साधना इत्यादि क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है।माता ब्रह्मचारिणी को

सफेद रंग बहुत प्रिय है। इसलिए माता को मिश्री का भोग चढ़ाना शुभ माना जाता है।

Day-3

चंद्रघंटा

नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा अर्चना की जाती है। माता चंद्रघंटा का नाम इसलिए

चंद्रघंटा हैक्योंकि इनके माथे के ऊपर घंटे के आकार का अर्ध चंद्र बना हुआ होता है। जो भी भक्त

माता चंद्रघंटा की पूजा भक्ति भाव से करते हैं उनके समस्त कष्ट को माता हर लेती हैं। माता को

प्रसन्न करने के लिए आप माता को दूध से बनी हुई वस्तु का भोग अर्पित कर सकते हैं।

Day-4

कुष्मांडा

नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है। माता कुष्मांडा की पूजा अर्चना करने वाले

भक्तों के समस्त रोगों को माता हर लेती हैं।यदि व्यक्ति को कठिन से कठिन रोग भी है और वह

माता कुष्मांडा की पूजा करता है तो वह जल्द ही स्वस्थ हो जाएगा। कहा जाता है कि माता कुष्मांडा

को मालपुआ बहुत प्रिय है। यदि आप माता को प्रसन्न करना चाहते हैं तो माता कुष्मांडा को नवरात्रि

के चौथे दिन अवश्य मालपुआ भोग स्वरूप अर्पित करें।

Day-5

स्कंदमाता

नवरात्रि के पांचवें दिन माता स्कंदमाता की पूजा की जाती है। कार्तिकेय की माता के रूप में माता

स्कंदमाता को जाना चाहता है।पद्मासना देवी के रूप में भी माता को जाना जाता है। जो भी भक्त

माता के इस रूप की पूजा भक्ति भाव से करते हैं।उन्हें संसार में कभी भी किसी भी चीज की कमी

महसूस नहीं होती है।माता स्कंदमाता के भक्त संसार के सभी सुखों का लाभ तो प्राप्त करते हैं साथ

में उन्हें जीवन के अंत समय में मोक्ष की भी प्राप्ति होती हैं। केले का प्रसाद माता स्कंदमाता का

पसंदीदा भोग है।

Day-6

कात्यायनी

नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा की जाती है। महर्षि कात्यायन के कठोर तप से

प्रसन्न होकर देवी दुर्गा ने उनके घर में पुत्री बन कर जन्म लिया था।बेटी होने की खुशी में और

अपनी बेटी को मां दुर्गा का आशीर्वाद समझ कर ही,महर्षि कात्यायन ने अपनी पुत्री का नाम

कात्यायनी रखा था। मां को शहद बेहद पसंद है साथ ही माता यह भी कहते हैं कि इस संसार

में जो भी व्यक्ति धर्म-कर्म, मोक्ष आदि को प्राप्त कर लेता है वह मनुष्य जीवन के हर संतापों

से मुक्त हो जाता है।

Day-7

कालरात्रि

मां दुर्गा सभी राक्षसों के लिए कालरूप को धारण की थी। इसलिए माता के इस रूप की पूजा

नवरात्रि के सातवें दिन की जाती है। जो भी भक्त माता के कालरूप की पूजा करते हैं। वह हर

तरीके के भूत, पिशाच इत्यादि के डर से मुक्त हो जाते है। माता को प्रसन्न करने के लिए गुड़

का भोग चढ़ा सकते हैं।

Day-8

महागौरी

नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें रूप महागौरी की पूजा की जाती है।जब मां दुर्गा मां

काली बनी थी उस ग्रुप में आने के बाद,उन्होंने बहुत कठोर तपस्या किया था तब जाकर उन्हें गौर

रूप की प्राप्ति हुई थी। मां के उसी रूप को महागौरी कहा जाता है। नवरात्रि के आठवें दिन बहुत

सारे लोग अपने घर में गौरी पूजन भी करवाते हैं।जिसमें छोटी-छोटी कन्याओं को भोजन कराया

जाता है। माता को हलवे का भोग बहुत पसंद है इसीलिए गौरी पूजन में कन्याओं को हलवा और

पूरे खिलाया जाता है।

Day-9

सिद्धिदात्री

नवरात्रि के अंतिम दिन अर्थात नवे दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। माता सिद्धिदात्री

की पूजा करने वाले सभी भक्तों को रिद्धि एवं सिद्धि दोनों ही प्राप्त होता है। माता अपने जिस भक्त

से प्रसन्न हो जाती हैं वह जीवन के हर समस्याओं से मुक्त हो जाता है और हमेशा खुश रहता है।

माता को प्रसन्न करने के लिए खीर का भोग लगाना चाहिए।

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